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न्यूज क्लिपिंग्स् | प्रदूषित गंगा किनारे स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने की अनूठी पहल

प्रदूषित गंगा किनारे स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने की अनूठी पहल

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published Published on Jun 18, 2012   modified Modified on Jun 18, 2012
वाराणसी. गंगा की निर्मलता व अविरलता के लिएचलाएजा रहे आंदोलन के बीच वाराणसी के दशाश्वमेघ घाट पर श्रद्धालुओं को नि:शुल्क स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए अनूठी पहल की गई है। इसके तहत वाराणसी के धर्मनिष्ठ प्रमुख कपड़ा व्यवसायी केशव जालान ने अपने व्यवसायी मित्र मनविंदर सिंह बग्गा के सहयोग से घाट के ऊपर ही एक आरओ प्लांट स्थापित कर दिया है। इसके सहारे श्रद्धालु अब गंगा का पानी बिना किसी भय के पी भी सकते हैं और उसे पूजा पाठ के लिए घरों में ले जाकर संग्रहित भी कर सकते हैं।


गौरतलब है कि गंगा में लगातार बढ़ता प्रदूषण आम जन-मानस के लिए चिंता का विषय बन चुका है। गंगा में गिरते जल-मल और उसकी अविरलता रोक दिए जाने से गंगा कुछ ज्यादा ही मैली हो चुकी है। यही वजह है कि पहले लोगों ने जल का सेवन छोड़ा और अब हालात ऐसे हैं कि नहाना भी मुश्किल हो गया है।


केशव जालान ने घाट किनारे ही लोगों स्वच्छ और शुद्ध गंगाजल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से सरदार मनविंदर सिंह से सलाह मशविरा किया और इस योजना को मूर्तरूप दिया। आरओ प्लांट लगाने के लिए स्थान की समस्या भी तत्काल दूर हो गई, जब गंगा सेवा निधि के अध्यक्ष सत्येंद्र मिश्र उर्फ मुन्नन महराज ने निधि कार्यालय की छत पर स्थान उपलब्ध करा दिया। संत मोरारी बापू ने गंगा दशहरा के दिन स्व. दीनदयाल जालान की स्मृति में दशाश्वमेघ घाट पर इस उपक्रम का शुभारंभ किया। केशव जालान ने बताया कि प्लांट तक पानी पहुंचाने के लिए वहां से गंगा तक पाइन लाइन बिछाई गई है, जिससे गंगा का पानी सीधे लिफ्ट कर प्लांट तक पहुंचाया जाता है और इसके बाद उस पानी को फिल्टर किया जाता है। प्लांट में फिल्टर होने की प्रक्रिया के बाद गंगाजल स्वच्छ हो जाता है, जिसका सेवन बिना किसी भय के किया जा सकता है।


बग्गा ने बताया कि इस प्लांट में एक घंटे में एक हजार लीटर गंगाजल फिल्टर किया जा रहा है। इसके लिए प्लांट में एक और दो हजार लीटर की चार टंकियां लगाई गई हैं। लोगों तक इस सुविधा को पहुंचाने के लिए अलग से पाइन लाइन डाली गई, जो घाट तक गई और वहां लगी चार टोंटियों से लोग इस पानी का बेहिचक इस्तेमाल कर रहे हैं।


लोग यहीं से पूजा पाठ के लिए भी गंगाजल ले जा रहे हैं। भविष्य में मणिकर्णिका, दशाश्वमेघ, अस्सी और हरिश्चंद्र सहित अन्य प्रमुख घाटों पर भी ऐसा उपक्रम शुरू किया जाएगा। ऐसे समय जब गंगा को प्रदूषण से मुक्ति दिलाकर उसकी निर्मलता और अविरलता बहाल करने के लिए धार्मिक नगरी से शुरू हुआ आंदोलन नई दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रस्तावित गंगा मुक्ति महासंग्राम के जरिए हुंकार भरने को तैयार है।

http://www.bhaskar.com/article/UP-r-3427798.html


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