आजकल दो अपराधियों की नियति चर्चा में है. एक हैं गुजरात की पूर्व मंत्री मायाबेन कोडनानी, जिन्हें 2002 में राज्य में हुए नरसंहारों में से एक में अपराधी मानते हुए 28 वर्ष की कैद की सजा दी गयी है. उन्हें खराब स्वास्थ्य के आधार पर फिलहाल जमानत मिली हुई है. इस महीने गुजरात सरकार ने कहा है कि वह कोडनानी का पक्ष लेगी और उन्हें जेल भेजने पर आमादा विशेष...
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गांधी, गांव और इश्तहार- चंदन श्रीवास्तव
बड़ा फर्क है गांधी और आंबेडकर की सोच में बसे गांव के बीच. गांधी के गांव में हिंसा है ही नहीं. गांधी की कल्पना में बसते गांव में भूमिहीन और भूस्वामी बिना झगड़े के रहते हैं. गांधी से किसी ने पूछा- बताइए, गांव के भूमिहीन और भूस्वामियों के बीच कैसे बराबरी स्थापित होगी? उनका जवाब था- भूस्वामी स्वयं ही अपनी भूमि पर दावा छोड़ भूमिहीनों की मदद के लिए आगे...
More »छत्तीसगढ़ में फिर लहलहाएगी दुबराज, विष्णुभोग की फसल
दिलीप साहू, रायपुर। दो दशक पहले तक छत्तीसगढ़ की पहचान रहे दुबराज, जवाफूल, बादशाह भोग, विष्णु भोग, चिन्नौर जैसे सुगंधित धान अब विलुप्ति के कगार पर हैं। हाईब्रीड व अधिक उपज देने वाली स्वर्णा, एमटीयू 1010 जैसी किस्मों के विस्तार के साथ परंपरागत क्षेत्रीय सुगंधित धान की किस्में गांवों से ज्यादातर समाप्त हो चुकी हैं। विलुप्त होते ऐसे पारंपरिक सुगंधित धान की 30 से अधिक वेराइटी को फिर से सहेजने...
More »खाद्य सुरक्षा मुद्दे पर भारत अपने रुख पर अडिग
नई दिल्ली। खाद्य सुरक्षा के मुद्दे पर भारत विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में अपना रुख नरम करने के मूड में नहीं है। अपनी इस राय से सरकार ने अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी के नेतृत्व में भारत के दौरे पर आए प्रतिनिधिमंडल को भी अवगत करा दिया है। फिलहाल, अमेरिका ने इस मुद्दे पर बीच का रास्ता निकलने की संभावना भी जताई। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और जॉन केरी के बीच...
More »अपनी सभ्यता की शर्तों पर- रमेशचंद्र शाह
जनसत्ता 15 जुलाई, 2014 : तात्कालिक आवश्यकता इस समाज में ही अतर्निहित, लेकिन दबी-घुटी मूल्य चेतना और आत्म-ज्ञान को उभारने-जगाने की है। फिलहाल लक्षण कुछ ऐसे ही प्रतीत हो रहे हैं कि नया राजनीतिक नेतृत्व अपने पूर्ववर्तियों की तुलना में इस मानी में ज्यादा संवेदनशील और जनोन्मुखी होगा। अवसरवादियों-चाटुकारों, नकलचियों और अल्पसंख्यक-तुष्टीकरण की राजनीति करने वाले दंभी पुण्यात्माओं का अभयारण्य नहीं, जो कि अपने ही देश को उपनिवेश की तरह...
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