राजनांदगांव। छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के किसान अब पारंपरिक फसलों की खेती के साथ फल-सब्जियों की खेती में भी बड़ी हिस्सेदारी निभा रहे हैं। बीते पांच साल में हार्टिकल्चर एरिए में बड़ी तेजी के साथ बढ़त दर्ज की गई है, जिसका परिणाम है कि अब जिले में पैदा होने वाली फल व सब्जियां अन्य प्रदेशों तक पहुंच रही है, जिसका फायदा किसानों को मोटे मुनाफे के रूप में मिल रहा...
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हजारों किसानों को चपत लगने के बाद पता चलेगा, बीज था बेकार
डॉ. अमरनाथ गोस्वामी, ग्वालियर(मध्यप्रदेश)। हर सीजन में बीजों की सैंपलिंग में लेट-लतीफी और जांच में लगने वाले लंबे समय के कारण यह पूरी प्रक्रिया कागजी कवायद बन कर रह गई है। बीज परीक्षण प्रयोगशाला में जब तक इस बात का खुलासा हो पाता है कि बेचा गया बीज अमानक था तब तक किसान के खेतों में फसल पकने की स्थिति में आ चुकी होती है। ग्वालियर स्थित मध्यप्रदेश की इकलौती बीज...
More »एक साल में 41 फीसदी महंगी हुई दालें: सरकार
नई दिल्ली। पिछले एक साल के दौरान रिटेल मार्केट में दालों के भाव 41 प्रतिशत तक बढ़ गए। फसलों के प्रतिकूल मौसम के कारण उत्पादन में गिरावट इसकी वजह रही। सरकार की ओर से शुक्रवार को संसद में यह जानकारी दी गई। राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में खाद्य मंत्री राम विलास पासवान ने कहा, 'पिछले एक साल में प्रमुख दालों के भाव 12.63 फीसदी से लेकर 40.73 प्रतिशत...
More »फसल बीमा योजना पर विचार कर रही है केंद्र सरकार
बेंगलुरु। संसदीय कार्यमंत्री एम वेंकैया नायडू ने रविवार को कहा कि भाजपा नीत राजग सरकार फसल बीमा पर विचार कर रही है। किसानों और कृषि क्षेत्र को दुर्दशा मुक्त करने की राजग सरकार की नीति के तहत इस पर विचार हो रहा है। उन्होंने बताया कि यह कृषि क्षेत्र के लिए चार बिंदुओं सिंचाई, बुनियादी ढांचा, ब्याज दर और बीमा का हिस्सा है। हमें कृषि उपज आय बीमा पर ध्यान देने...
More »आत्महत्याएं कभी झूठ नहीं बोलतीं!- चंदन श्रीवास्तव
पुराने समय में ‘कागद की लेखी' और ‘आंखिन की देखी' के बीच अकसर एक झगड़ा रहता था. कागद की कोई लिखाई जिंदगी की सच्चाई से मेल ना खाये, तो फिर कबीर सरीखा कोई ‘मति का धीर' पोथी में समाये ज्ञान से इनकार भी कर देता था. यह अघट तो आधुनिक समय में घटा कि प्रत्यक्ष को मानुष पर और मानुष को आवेगों पर निर्भर मान कर शंका के काबिल मान...
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