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मिलीजुली राजनीति में फंसा मोदी का अर्थशास्त्र--- शेखर गुप्ता

जोसेफ हेलर के प्रसिद्ध उपन्यास कैच-22 में लेफ्टिनेंट मायलो माइंडरबाइंडर का चरित्र खुद से कारोबार करके ख्याति अर्जित करता है। वह खुद से इस तरह कारोबार करता कि लेन-देने के चक्र में शामिल हर व्यक्ति को मुनाफा होता, जो अंतत: सरकार की जेब से ही आता है। वह किसी चीज की पूरी सप्लाई खरीद लेता जैसे एक गांव के सारे अंडे, टमाटर खरीद लिए और फिर अपनी ही फौजी यूनिट...

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नोटबंदी से लांग टर्म फायदा-- गुरचरण दास

पूरे एक साल बाद भी विमुद्रीकरण (सामान्यतया िजसे नोटबंदी कहा जाता है) का फायदा अभी भले न दिख रहा हो, लेकिन आगे चलकर इसका फायदा दिखना अभी बाकी है. क्योंकि, शुरू से ही इसके लांग टर्म में फायदा होने की बात शामिल रही है. विशेषज्ञों ने ऐसा माना है. यह बेहद स्वाभाविक है कि किसी भी बड़े और राजनीतिक-सामाजिक-सांस्कृतिक-आर्थिक विभिन्नताओं वाले देश में किसी ठोस और कठोर फैसले लेने से...

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मेडिकल इमरजेंसी के कारण-- दुनू रॉय

देश की राजधानी दिल्ली और साथ ही कुछ अन्य क्षेत्रों में इस वक्त जो भयानक स्मॉग चारों तरफ फैला हुआ है, वह अचानक कहीं से आ नहीं गया है, बल्कि धूएं और धूल के प्रदूषण से पैदा हुआ यह स्मॉग वातावरण में ठहर जाने से अचानक दिखायी देने लगा है, जो सांस लेने में अब परेशानियां पैदा करने लगा है. स्मॉग में स्मोक और फॉग दोनों हैं- स्मॉक यानी धुएं...

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अभिजीत मुखोपाध्याय-- अभिजीत मुखोपाध्याय

विमुद्रीकरण की घोषणा के ठीक एक साल बाद, यह पूरी तरह स्पष्ट है कि यह कदम विशुद्ध रूप से एक राजनीतिक हथकंडा था. जिसका मकसद प्रधानमंत्री को काला धन से लड़नेवाले एक ऐसे जेहादी अवतार के तौर पर पेश करना था, जो भ्रष्ट अमीरों की जान के पीछे पड़ा है.   8 नवंबर, 2016 को स्पष्ट उनके अपने शब्दों में- ‘इसलिए, भ्रष्टाचार, काला धन, नकली नोटों और आतंकवाद के विरुद्ध इस लड़ाई...

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पर्यावरण संरक्षण की मुश्किलें-- पंकज चतुर्वेदी

जिस तरह देश की आबादी बढ़ रही है, हरियाली और खेत कम हो रहे हैं, जल-स्रोतों का रीतापन बढ़ रहा है, हम हर दिन वनस्पति और जंतुओं की किसी न किसी प्रजाति को सदा के लिए खो रहे हैं, खेत और घर में जहरीले रसायनों का इस्तेमाल बढ़ रहा है, भीषण गरमी से जूझने में वातानुकूलित यंत्र और अन्य भौतिक सुखों की पूर्ति के लिए बिजली का इस्तेमाल बढ़ रहा...

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