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अब बदलेगी गांव की तस्वीर, लिया तीस गांव को गोद

पुणो. लोकमान्य बहुद्देशीय सहकारी संस्था ने आजादी के 65 साल बाद भी विकास की किरण को तरस रहे महाराष्ट्र-बेलगांव सीमाई क्षेत्र के तीस गांवों का आर्थिक तौर पर कायाकल्प करने का बीड़ा उठा लिया है। इस पहल से गांवों के लोग आर्थिक रूप से निश्चित रूप से सक्षम हो सकेंगे यह विश्वास संस्था के संस्थापक अध्यक्ष एवं वरिष्ठ पत्रकार किरण ठाकुर ने गुरुवार को व्यक्त किया। श्री ठाकुर के मुताबिक चार वर्ष पहले...

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चुनाव बाद किसानों को मिलेगा व्यापार मंडल का लाभ

पटना : चुनाव के बाद राज्य में व्यापार मंडल सहकारी समितियां पटरी पर होंगी. किसानों को व्यापार मंडल के माध्यम से अपना अनाज बेचने में सुविधा होगी, वहीं आवश्यकतानुसार बंधक व्यापार का भी लाभ मिलेगा. प्रखंड स्तर पर व्यापार मंडल के माध्यम से विकास कार्य भी कराये जा सकेंगे. व्यापार मंडल को हिस्सा पूंजी के अनुरूप सरकारी सहायता और ऋण भी मिलेगा. क्या है व्यापार मंडल व्यापार मंडल सहयोग समितियां प्रखंड स्तर...

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कुपोषित बच्चों का हो नियमित परीक्षण

देहरादून, जागरण ब्यूरो: महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास मंत्री अमृता रावत ने महिलाओं के जीवन स्तर व आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए संचालित योजनाओं के व्यापक प्रचार-प्रसार और आंगनबाड़ी केंद्रों की कमी दूर कर अच्छे पुष्टाहार वितरण की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कुपोषण के शिकार बच्चों का सरकारी अस्पतालों में नियमित स्वास्थ्य परीक्षण कराने के निर्देश भी दिए। महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग की समीक्षा बैठक...

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बुजुर्गों के लिए इज्जत की जिन्दगी -आईए, एक अभियान का हिस्सा बनें

बुजुर्गों की जीवन-संध्या पूरी गरिमा और बिना किसी अभाव के बीते- यह हर सभ्य समाज का नैतिक दायित्व है। बुजुर्गों के प्रति इसी दायित्व-भाव से पेंशन परिषद् दिल्ली में जन्तर-मन्तर पर अगामी 7 मई से 11 मई(2012) तक एक अभियान के तहत धरने का आयोजन कर रहा है। धरने के आयोजन के पीछे मकसद एकदम सरल और सहज है, और इस मकसद को पूरा करने का वक्त अब आ चुका है। आगे की पंक्तियों को...

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इन बच्चों का क्या कसूर?- हर्षमंदर

गरीबों के बच्चे मवेशी चराते हैं और चटाई बुनते हैं, वे शहर के कूड़ागाहों और ट्रैफिक सिगनल्स पर पाए जाते हैं, ईंट-भट्टे और कोयला खदानें आमतौर पर उनके काम करने की जगहें होती हैं। जब हमारे बच्चे स्कूलों में पढ़ाई करने जाते हैं, तब गरीबों के बच्चे रोजी-रोटी के लिए मशक्कत कर रहे होते हैं। लेकिन बड़ी अजीब बात है कि हमने महज इस संयोग के आधार पर इन बच्चों की इस...

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