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कर्ज माफी अंतिम उपाय नहीं-- आर. सुकुमार

देश के कई हिस्से इन दिनों कृषि संकट से गुजर रहे हैं।काफी हद तक इसकी वजह खराब मानसून है। ज्यादातर इलाकों में किसान आज भी सालाना बारिश पर निर्भर हैं, लेकिन कम बारिश के चलते साल 2014 और 2015 उनके लिए अच्छे नहीं रहे, हालांकि 2016 में अच्छी बारिश हुई थी। इस संकट की एक वजह कमोडिटी साइकिल (उत्पादों का चक्र) भी है, जिसके कारण खाद्य उत्पादों की वैश्विक कीमतें चक्रानुक्रम...

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राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे : यूपी में सामान्य से कम वजन की व्यस्क आबादी सबसे ज्यादा !

अगर आप यूपी सरकार के सलाहकार होते तो इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस निर्देश के बारे में क्या कहते जिसमें याद दिलाया गया है कि जीवन, जीविका और भोजन की पसंद पर पाबंदी नहीं लगायी जा सकती?   शायद आप यूपी की योगी-सरकार को कहते कि कोर्ट के निर्देश को गंभीरता से लीजिए क्योंकि यूपी देश की सबसे बड़ी आबादी वाला राज्य है और इसी यूपी में भोजन और पोषण की कमी के मारे लोगों...

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किसान मदद के मोहताज क्यों हैं -- रमेश कुमार दुबे

तमिलनाडु के कावेरी बेसिन के सूखा-पीड़ित किसान पिछले तीन हफ्तों से इंसानी खोपड़ियों के साथ दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे हैं ताकि दिल्ली के हुक्मरानों को अपनी आवाज सुना सकें। इनका दावा है कि ये खोपड़ियां उन किसानों की हैं जिन्होंने कर्ज के दुश्चक्र में फंस कर आत्महत्या कर ली या भूख ने जिनकी जान ले ली। एक नई प्रवृत्ति यह है कि यहां के लोग आत्महत्या करने वाले किसानों...

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हिमाचल में सेब की फसल चौपट तो पंजाब-हरियाणा में गेहूं खराब

नई दिल्ली। मौसम में आए बदलाव ने हिमाचल प्रदेश के सेब उत्पादकों को दर्द दिया तो पंजाब व हरियाणा के किसानों की कमर तोड़कर रख दी। सेब की फसल जहां आधी होने का अनुमान है वहीं गेहूं में हुए नुकसान का आकलन नहीं हो सका है। हिमाचल में आर्थिकी के मुख्य स्रोत पर संकट के बादल छा गए हैं। तीन दिन से बारिश व ओलावृष्टि से तापमान में आई भारी गिरावट...

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भरे पेट की दुनिया में भूखे बच्चे --- डा. सैय्यद मोबिन जेहरा

भूख इंसान को कितना मजबूर करती है, यह तो वही जानते हैं जो एक वक्त की रोटी के लिए मारे-मारे फिरते हैं. पेट की यह आग इंसान से क्या कुछ नहीं करवाती है. हम सब दिन रात मेहनत करते हैं और जिंदगी की गाड़ी को खींचते हुए आगे बढ़ते हैं. हमारे समाज में कुछ लोग अपनी मरजी के अनुसार जो कुछ खाना चाहते हैं, वे न सिर्फ खाते हैं, बल्कि...

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