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कोई परीक्षा नहीं- कोई फेल नहीं प्रावधान की समीक्षा की जरुरत

नई दिल्ली। कई राज्यों के विरोध के मद्देनजर शिक्षा के अधिकार (आरटीई) के तहत आठवीं कक्षा तक किसी बच्चे को फेल नहीं करने और कोई परीक्षा नहीं लेने के प्रावधान की समीक्षा की जा सकती है। हरियाणा की शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल की अगुआई में गठित केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (केब) की उपसमिति अब इस विषय पर विचार कर रही है। यह समिति 23 अक्तूबर को रिपोर्ट पेश करेगी। इस बात...

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विदेश में इलाज का मर्ज- मृणालिनी शर्मा

जनसत्ता 26 सितंबर, 2013 : भारत सरकार के कार्मिक मंत्रालय ने हाल ही में चुपके से एक फैसला लिया है, जिसके अनुसार भारतीय प्रशासनिक सेवा, पुलिस सेवा और वन सेवा जैसी अखिल भारतीय सेवाओं के लगभग पांच हजार कर्मचारी अपने इलाज के लिए विदेश जा सकते हैं। विदेश जाने का हवाई किराया और वहां दो महीने तक रहने का खर्च भी सरकार उठाएगी। दो महीने की यह अवधि अगर जरूरी...

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पुल तले पाठशाला- विकास कुमार

दिल्ली में मेट्रो ब्रिज तले चल रहा एक अनोखा स्कूल गरीब परिवारों के कई बच्चों की उम्मीदों को पंख दे रहा है. विकास कुमार की रिपोर्ट. मेट्रो के पुल के नीचे दुकानें सजना तो दिल्ली में आम है, लेकिन उसके तले कोई स्कूल चलता दिखे तो बात खास हो जाती है. दिल्ली मेट्रो के यमुना बैंक स्टेशन के पास ऐसी ही एक अनूठी और प्रेरणादायी पाठशाला है. मेट्रो ब्रिज इसे धूप और...

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'हम ना मुसलमान हैं, ना हिंदू, हम तो गरीब हैं...'- दिलनवाज पाशा

मुज़फ़्फ़रनगर दंगों ने हज़ारों लोगों को शरणार्थी बना दिया। राहत कैंपों में पड़े लोगों की दुनिया चंद घंटों में बदल गई। शामली के लिसाढ़ गांव के मोहम्मद यासीन कांधला के एक राहत शिविर में रह रहे हैं। यासीन राहत कैंपों के शरणार्थियों की कहानी बयां कर रहे हैं। उनकी बातें समाज और सरकार के सामने कई गंभीर सवाल खड़े करती हैं वे कहते हैं, ''हमने कभी नहीं सोचा था कि हमारे...

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फेरीवालों को सम्मान का हक है- सुधांशु रंजन

दैनिक जरूरतों की वस्तुएं घर के निकट उपलब्ध करानेवाले मेहनतकशों का हर दिन असुरक्षा और अपमान के बीच बीतता है. उनके दु:ख-दर्द को देखते हुए उनके हकों को कानूनी जामा पहनाने का एक क्रांतिकारी कदम उठाया गया है. भारत में 90 फीसदी से अधिक लोग असंगठित क्षेत्रों में काम करते हैं. उनकी कोई सामाजिक सुरक्षा नहीं होती. इनमें एक बड़ा वर्ग फेरीवालों का है, जो सड़कों के किनारे और गलियों में...

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