जयपुर, जागरण संवाद केंद्र : खाद्य मंत्री बाबूलाल नागर ने कहा है कि विभाग की योजनाओं से गरीबों को लाभान्वित करने में संवेदनशीलता से भूमिका निभाते हुए समाज के कमजोर एवं पात्र व्यक्ति एक सार्वजनिक वितरण प्रणाली की सामग्री की पहुंच सुनिश्चित की जाए। नागर शनिवार को यहां इंदिरा गांधी पंचायती राज संस्थान में राजस्थान खाद्य, नागरिक आपूर्ति सेवा समिति के प्रांतीय अधिवेशन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली की सामग्री...
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निर्भर नहीं, आत्मनिर्भर !- मिहिर शाह
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (नरेगा) क्रांतिकारी जनपक्षधर विकास कार्यक्रमों का वायदा करती है। ग्राम सभा और ग्राम पंचायतों द्वारा उसकी योजना, क्रियान्वयन और जांच-परख से हजारों स्थायी रोजगार पैदा हो सकते हैं। लेकिन नरेगा की लड़ाई बरसों से चले आ रहे एक बुरे अतीत के साथ है। पिछले साठ सालों से ग्रामीण विकास की योजनाएं राज्य की इच्छा और सदाशयता पर ही निर्भर रही हैं। श्रमिकों को दरकिनार करने वाली मशीनों और ठेकेदारों को काम...
More »भेंटवार्ता जोन पी मेंशे से- वकार अहमद सईद
नृत्त्वशास्त्र की अध्येता जॉन पी मेंशे से की गई यह भेटवार्ता फ्रंटलाइन से साभार ली गई है। प्रोफेसर जोन पी मेंशे नृत्तत्वशास्त्र की अध्येता हैं। उन्होंने बरसों तक सिटी यूनिवर्सिटी ऑव न्यूयार्क के ग्रेजुएट सेंटर और इसी यूनिवर्सिटी के लेहमान कॉलेज में अपने विषय का अध्यापन किया है। प्रोफेसर मोंशे सेकेंड चांस फाऊंडेशन नामक एक नॉट फॉर प्राफिट संस्था की अध्यक्ष भी हैं। यह संस्था भारत और संयुक्त राज्य...
More »सपनों का उत्ताराखंड बनाने आगे आई महिलाएं
कोटद्वार(पौड़ी गढ़वाल)। उत्ताराखंड महिला मंच ने जनपद पिथौरागढ़ में गौरा नदी पर बन रहे 18 छोटे-बड़े बांधों से प्रभावित जनता की ओर से लड़ी जा रही लड़ाई को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया है। मंच ने नैनीताल, धारी व रामगढ़ में भू-माफियाओं के खिलाफ संघर्ष करने की भी बात कही है। रविवार को कोटद्वार में आयोजित मंच के प्रांतीय सम्मेलन में वक्ताओं ने कहा कि जल-जंगल व जमीन उत्ताराखंड का भूगोल नहीं बल्कि, उत्ताराखंडवासियों...
More »ग्रामीण भारत में गरीबों की तादाद आधिकारिक आकलन से ज्यादा
यह बात अब आधिकारिक सूचना में आ चुकी है कि भारत में गरीबी पहले के अनुमानों से कहीं ज्यादा है। इस माह की 9 तारीख को सौंपी गई सुरेश तेंदुलकर समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में गरीबी 37 फीसदी(2004-05) है ना कि 28 फीसदी, जैसा कि पहले के आकलनों में माना जाता रहा है।यदि तेंदुलकर समिति के आकलन में खाद्य पदार्थों की कीमतों में हुई मौजूदा बढ़ोतरी को जोड़ दें...
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