विश्व स्वास्थ्य सूचकांक में भारत का स्थान 188 देशों में 143वां है। भारत स्वास्थ्य पर अपने जीडीपी का सिर्फ 1.4 प्रतिशत व्यय करता है। जबकि अमेरिका जीडीपी का 8.3 प्रतिशत, चीन 3.1 प्रतिशत और दक्षिण अफ्रीका 4.2 प्रतिशत व्यय करता है। स्वास्थ्यमंत्री फरवरी 2015 में राज्यसभा में यह स्वीकारकर चुके हैं कि देश में चौबीस लाख नर्सों और चौदह लाख डॉक्टरों की कमी है। हम प्रतिवर्ष केवल साढ़े पांच हजार...
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रेगिस्तान का बढ़ता दायरा-- निरंकार सिंह
दुनिया के सामने आज सबसे बड़ा संकट उपजाऊ भूमि के लगातार रेगिस्तान में बदलने से पैदा हो रहा है। धरती के रेगिस्तान में बदलने की प्रक्रिया बड़े पैमाने पर चीन, अफ्रीका, आस्ट्रेलिया, भूमध्यसागर के अधिसंख्य देशों तथा पश्चिम एशिया, उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका के सभी देशों सहित भारत में भी जारी है। इतिहास गवाह है कि दुनिया के हर साम्राज्य का अंत उसके रेगिस्तान में बदल जाने के कारण ही...
More »क्रांति के विचार में जरूरी क्रांति-- योगेन्द्र यादव
कोई भी व्यक्ति बगैर झूठा बने एक श्रद्धांजलि का लेखन कैसे कर सकता है? बीते सात नवंबर को रूसी क्रांति की शताब्दी मनाते हुए इस प्रश्न ने मुझे परेशान-सा कर दिया. कठिनाई यह नहीं है कि इस क्रांति का पुत्र यानी सोवियत संघ 70 वर्षों का होकर मृत हो गया. कोई भी अमर नहीं होता. समस्या यह भी नहीं कि समाजवादी प्रयोग अंततः विफल रहा. सफलता से सभी चीजों की...
More »परदेस में शादी-- मनीषा सिंह
भारत समेत पूरी दुनिया में महिलाएं अच्छे जीवन की चाह में विदेशी जमीन पर बसे या काम कर रहे दूल्हे से शादी के बाद होने वाली धोखाधड़ी की घटनाओं से बुरी तरह त्रस्त रही हैं। ऐसे मामलों की व्यापक पड़ताल के लिए गठित गोयल समिति ने अप्रवासी भारतीय दूल्हों को ब्याही हिंदुस्तानी लड़कियों की तकलीफों का अध्ययन कर अपनी रिपोर्ट सरकार को दी है, जिसमें पत्नी के साथ ज्यादती करने...
More »गांधी के पास देने को बहुत कुछ- आशुतोष चतुर्वेदी
अनेक विद्वानों का मानना है कि महात्मा गांधी को समझना आसान भी है और मुश्किल भी. दरअसल, गांधी की बातें सरल और सहज लगती हैं, लेकिन उनका अनुसरण करना बेहद कठिन होता है. हम सभी जानते हैं कि महात्मा गांधी भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख नेता थे. वह एक सफल लेखक भी थे. आप उनकी सक्रियता का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि 2 अक्तूबर, 1869 में...
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