हल्द्वानी(नैनीताल)। वनाच्छादित उत्तराखंड की 4.50 लाख हेक्टेयर बंजर भूमि भी अब सोना उगलेगी। मनरेगा से डबटेल कर कृषि विभाग ने एक ऐसी योजना बनायी है, जिससे किसान अपनी बंजर भूमि पर खेती कर अतिरिक्त पारिश्रमिक भी अर्जित कर सकेंगे। बंजर भूमि को उपजाऊ बनाने का तरीका किसानों को कृषि विभाग समझाएगा। कम से कम पचास नाली बंजर का सुधार करने पर किसानों को उससे उपजी फसल तो प्राप्त होगी ही,...
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हरे कानून बदलेंगे रहन-सहन की तहजीब
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। जलवायु परिवर्तन के खतरों के खिलाफ देश में धीरे-धीरे खड़ी हो रही हरे कानूनों की नई बाड़ का असर आने वाले कुछ दिनों में आम आदमी की जिंदगी पर नजर आने लगेगा। मामला साफ हवा के नए मानकों का हो या ई-कचरे को नियंत्रित करने के पैमानों का। पर्यावरण केंद्रित नियम-कायदों का नया सांचा देश में रहन-सहन की तहजीब को नई शक्ल देने में जुटा है। बीते एक साल में सरकार...
More »अगले साल तैयार होगा वैश्विक समझौता
केपटाउन. बेसिक समूह ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, भारत और चीन ने इच्छा जताई है कि जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए 2011 तक कानूनी तौर पर बाध्यकारी एक वैश्विक समझौता तैयार हो जाना चाहिए। समूह ने इस बात पर भी जोर दिया है कि अमरीका इस मुद्दे पर अपने समझौते को अंतिम रूप दे,इसके लिए विश्व अंतहीन समय तक इंतजार नहीं कर सकता। समूह के नेताओं की रविवार को तीसरी बैठक हुई। बैठक...
More »आबादी बनाम उत्सर्जन-टी. एन. नाइनन
वर्ष 1992 में रियो पृथ्वी सम्मेलन के साथ ही जलवायु परिवर्तन पर चर्चा के दौरान ग्रीनहाउस गैसों के प्रति व्यक्ति उत्सर्जन को सूचकांक के तौर पर आम स्वीकृति मिल गई थी। चूंकि अमेरिका में प्रति व्यक्ति उत्सर्जन भारत के मुकाबले 10 गुना अधिक है, इसलिए जब सुधारात्मक कार्रवाई की बात आती है तो उसकी जवाबदेही भारत से अधिक है। यह तथ्य 1997 में क्योटो समझौते का आधार बना, जिसके तहत बड़े...
More »पर्यावरण की राजनीति और धरती का संकट
खुद मनुष्य ने अपनी भावी पीढ़ियों की जिंदगी को दांव पर लगा दिया है। दुनिया भर में चिंता की लकीरें गहरी होती जा रही हैं। सवाल ल्कुल साफ है- क्या हम खुद और अपनी आगे की पीढ़ियों को बिगड़ते पर्यावरण के असर से बचा सकते हैं? और जवाब भी उतना ही स्पष्ट- अगर हम अब भी नहीं संभले तो शायद बहुत देर हो जाएगी। चुनौती हर रोज ज्यादा बड़ी होती...
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