आप इसे बजट राग कह सकते हैं, जो पैसे के मूल मंत्र पर केंद्रित है। बजट के मौसम में सरकारी विचार कक्ष में पैसे के बारे में काफी चर्चा होती है। इस बार भी चर्चा हो रही है कि सरकार को राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करना चाहिए या उसकी चिंता छोड़ देनी चाहिए। चर्चा इस पर भी है कि किसे दर्द सहना चाहिए और किसे फायदा होगा। विकास का सिद्धांत...
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बेजुबानों की जबान बनती जवाबदेही यात्रा !
क्या कभी आपकी भेंट ऐसे जिला शिक्षा अधिकारी से हुई है जिससे भरी महफिल में किसी ग्रामीण ने शिक्षा के अधिकार के हवाले से पूछा हो, बताओ ऐसे कितने स्कूल हैं जहां शौचालय ठीक-ठाक बने और काम कर रहें हैं ? क्या आपने जिला शिक्षा अधिकारी को आंकड़ों की ओट में तथ्य छुपाते और इस तथ्य-छुपाई पर उसी महफिल में एक से ज्यादा ग्रामीणों के मुंह से टोके और दुरुस्त किए...
More »नागरिक संगठनों ने की नये बजट में सामाजिक सुरक्षा योजना पर आबंटन बढ़ाने की अपील
नये बजट की चल रही तैयारियों के बीच नागरिक संगठनों ने वित्तमंत्री से मांग की है कि सामाजिक सुरक्षा के कार्यक्रमों के लिए आबंटन बढ़ाया जाय.(देखें नीचे दी गई लिंक) जनवरी माह के पहले पखवाड़े में तकरीबन 20 नागरिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने बजट-पूर्व परामर्श के तहत वित्तमंत्री अरुण जेटली से भेंट की और तुरंत बाद के अपने प्रेस सम्मेलन में समवेत रुप से ध्यान दिलाया कि अपेक्षाकृत गरीब राज्यों में...
More »असमर्थ का अस्पताल खर्च उठाएं कारपोरेट
मुंबई। बांबे हाई कोर्ट ने कंपनियों को सामाजिक जवाबदेही में हिस्सेदार बनने की सलाह दी है। जस्टिस वीएम कनाडे और रेवती मोहित डेरे की खंडपीठ ने गुरुवार को कारपोरेट सामाजिक जवाबदेही की उपेक्षा करने वाली कंपनियों से गरीब और भुगतान करने में असमर्थ लोगों का अस्पताल खर्च चुकाने के लिए अपने मुनाफे का दो फीसदी देने का सुझाव दिया। क्या है मामला संजय प्रजापति नाम के एक व्यक्ति ने अपनी याचिका में...
More »सिर्फ व्यक्ति की आय बढ़ने से नहीं होता विकास : ज्यां द्रेज
नयी सरकार की आर्थिक घोषणा को ‘बिग बैंग' बताने के लिए इस्तेमाल किया गया. बाद में नयी सरकार की आर्थिक सफलता के दावे को सही ठहराने का प्रयास किया जा रहा है, जबकि असलियत यह है कि भारतीय अर्थव्यवस्था आर्थिक विकास के मामले में लंबे समय से बहुत अच्छा कर रही है. भारतीय अर्थव्यवस्था मामूली उतार-चढ़ाव के साथ करीब 7.5 फीसदी प्रतिवर्ष की दर से बीते 12 साल से...
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