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क्या बैंकों का निजीकरण एक व्यवहार्य विकल्प है?

-जनपथ, वित्तीय वर्ष 2022 के निजीकरण अभियान के लिए 1.75 लाख करोड़ रुपये के विनिवेश लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करते हुए वित्त मंत्रालय द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों को बैंकिंग कंपनियां (उपक्रमों का अधिग्रहण और हस्तांतरण) अधिनियम, 1970 और 1980 से बाहर लाने के लिए विधायी संशोधन संसद के मॉनसून सत्र में लाने की चर्चा है। आईडीबीआई बैंक का निजीकरण भी प्रक्रियाधीन है। गत पचास वर्षों से देश की अर्थव्यवस्था की...

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यूनेस्को साइंस रिपोर्ट 2021: रिसर्च और टेक्नोलॉजी डेवल्पमेंट भारत का भविष्य तय करेगी!

वैज्ञानिक ज्ञान ने भयानक कोरोनावायरस और इसके प्रसार से निपटने में बहुत मदद की है. रिकॉर्ड कम समय के भीतर, वैज्ञानिकों (वायरोलॉजिस्ट, एपिडेमियोलॉजिस्ट, बायोस्टैटिस्टियन, आदि सहित) और उनके शोध परिणामों ने आम लोगों को यह जानने में मदद की कि SARS-CoV-2 क्या है और यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में कैसे फैलता है. आम लोगों को अब यह पता चल गया है कि कैसे सरल तकनीक और व्यवहार में...

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महंगाई और महामारी: करोड़ों के हाथ आई गरीबी

-आउटलुक, “कोविड-19 से हर तबका प्रभावित, कोई बिजनेस बेचने तो कोई मेड का काम करने को मजबूर, लेकिन अमीरों की अमीरी भी बढ़ी” अभी एक ही दशक हुआ जब भारतीयों ने अपने खर्च के तौर-तरीके और जीवन शैली में बदलाव लाना शुरू किया था। वे बचत की परंपरागत सोच की जगह खर्च करने पर ज्यादा जोर दे रहे थे। भारतीयों की सोच में आए इस बदलाव पर पश्चिमी देशों का स्पष्ट प्रभाव...

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20 वर्षों के विश्लेषण से हुआ ख़ुलासा, पेट्रोल और डीज़ल के बढ़े दामों से कभी भी इनकी खपत कम नहीं हुई है

-द प्रिंट, मार्च-अप्रैल में विधान सभा चुनावों के बाद से निरंतर वृद्धि के चलते, राष्ट्रीय राजधानी समेत देश के कई हिस्सों में, पेट्रोल के दाम 100 रुपए प्रति लीटर के निशान को पार कर गए. लेकिन, अगर क़ीमतें बढ़ रही हैं तो क्या ईंधन की खपत पर इसका असर नहीं होना चाहिए? वित्त वर्ष 1999-2000 और 2019-20 के बीच, 20 वर्षों के अधिकारिक आंकड़ों पर नज़र डालने पर पता चलता है, कि पेट्रोल...

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बेरोज़गार भारत एक पड़ताल: केंद्र और राज्य सरकारों के 60 लाख से अधिक स्वीकृत पद खाली

-न्यूजक्लिक, मोदी सरकार के कार्यकाल में जहाँ एक और बेरोजगारी इतनी अधिक हैं, कोई नई नौकरिया नहीं हैं, वहीं दूसरी और जो सरकारी पद पहले से स्वीकृत हैं उन पर भी नियुक्ति नहीं हो रही हैं। केंद्र तथा राज्य सरकारों के विभिन्न विभागों के आंकड़ों पर किये गए अध्ययन से पता चलता है कि रिक्त पदों कि संख्या 60 लाख से अधिक है।  भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली नरेंद्र मोदी सरकार और राज्य सरकारों...

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