दिसंबर 2008 में मैं आईआईटी मद्रास में भारतीय लोकतंत्र की अपूर्णताओं पर बोल रहा था। इन्हीं में से एक बिंदु था राजनीतिक वंशवाद। मेरे बाद कनिमोझी का व्याख्यान था। उन्होंने मेरे वक्तव्य के कुछ अंशों का खंडन करने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि मैं युवा भारतीयों को अपनी पसंद का कॅरियर चुनने से रोक रहा हूं। यदि किसी क्रिकेटर का बेटा क्रिकेटर बन सकता है और किसी संगीतकार की...
More »SEARCH RESULT
मेहनतकश की मजदूरी का सवाल : हर्ष मंदर
‘खेतों और फैक्टरियों में काम करने वाले हर मजदूर और कामगार को कम से कम इतना अधिकार तो है ही कि वह इतनी मजदूरी पाए कि अपना जीवन सुख-सुविधा से बिता सके..।’ वर्ष 1929 के लाहौर अधिवेशन में अध्यक्षीय भाषण दे रहे जवाहरलाल नेहरू ने यह बात कही थी। इसके नौ दशक बाद स्वतंत्र भारत की केंद्र सरकार ने कहा कि लोककार्य के लिए कानून द्वारा स्थापित न्यूनतम मजदूरी का भुगतान...
More »गेहूं भंडारण का प्रबंधन फिफ्टी-फिफ्टी - अश्विनी शर्मा, करनाल
धरती को मेहनत से सींचकर एक-एक दाना उगाने वाले किसान बरसात में गेहूं को भीगते हुए देखकर रुआसा हो जाते हैं। उचित भडारण न होने से जुंडला में हजारों क्विंटल गेहूं बरसात में भीग गया, तो इंद्री में हजारों क्विंटल गेहूं में सुरसुरी लग गई। राहत की बात यह है कि असंध, घरौंडा, करनाल, नीलोखेड़ी आदि छोटी मंडियों से खरीदे गए गेहूं का उचित भंडारण होने से बरसात की मार...
More »आपराधिक उद्यम जैसा सत्ता का स्वरूप- अजय सिंह
राहुल गांधी के भट्टा, परसौल जाने के बाद पहली बार ग्रामीण भय के वातावरण से बाहर आये. पुलिस से भयाक्रांत महिलाएं व बच्चे पहली बार खुल कर बोले. शायद राहुल गांधी का राजसत्ता की बर्बरता से यह पहला सामना था. भट्टा, परसौल नामक पश्चिमी उत्तर प्रदेश के दो गांव राजनेताओं के लिए तीर्थ बन गये हैं. गौतम बुद्ध नगर के ये दो गांव पुलिस और ग्रामीणों के खूनी संघर्ष की रणभूमि...
More »काले धन को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करें: बाबा रामदेव
यवतमाल. देश की जनता दरिद्रता, बीमारी, भूख, कुपोषण से पीड़ित है। सभी तरह से बेहाल है फिर भी देश के नेताओं ने जनता को चूस-चूसकर भ्रष्टाचार के माध्यम से थोड़ा नहीं बल्कि 4 लाख करोड़ रु. का काला धन विदेशी बैंक में जमा कर रखा है। इस काला धन को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित कर देश में लाना जरूरी है। इस राष्ट्रीय संपत्ति का उपयोग करने से देश सिर्फ बलवान ही नहीं...
More »