नई दिल्ली। भारत के प्रधान न्यायाधीश पी सदाशिवम ने लोक अदालतों के सदस्यों को आगाह किया है कि वे यह तय करें कि उनके फैसलों को सहमति देने के लिए वादी धमकाए या गुमराह न किए जाएं क्योंकि ये फैसले अंतिम हैं। इनके खिलाफ अपील नहीं की जा सकती। लोक अदालतों को विवाद निपटाने का एक प्रभावी माध्यम मानते हुए प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि वे गरीबों, कमजोरों और कम सूचित वर्गों...
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महिला नहीं कर सकती सास-ससुर की संपत्ति पर दावा : अदालत
नई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने कहा है कि किसी भी महिला का अपने पति की संपत्ति पर अधिकार होता है, लेकिन वह अपने सास-ससुर की संपत्ति पर अधिकार का दावा नहीं कर सकती। अदालत ने यह टिप्पणी एक महिला की अपील को खारिज करते हुए की जो यहां के एक सरकारी अस्पताल में डॉक्टर है। उसने अपने सास-ससुर के घर में रहने का अधिकार मांगा था जिसमें उसके पति...
More »तेलंगाना की तस्वीर- विनय सुल्तान
जनसत्ता 16 नवंबर, 2013 : तेलंगाना की सात दिन की यात्रा से पहले मेरे लिए तेलंगाना का मतलब था आंदोलनकारी छात्र, लाठीचार्ज, आगजनी, आत्मदाह, रवि नारायण रेड्डी और नक्सलबाड़ी आंदोलन। संसद के शीतकालीन सत्र में तेलंगाना के दस जिलों की साढ़े तीन करोड़ आबादी का मुस्तकबिल लिखा जाना है। मेरे लिए यह सबसे सुनहरा मौका था वहां के लोगों के अनुभवों और उम्मीदों को समझने का। पृथक राज्यों की मांग के पीछे...
More »झारखंड को सुराज की दरकार- अश्विनी कुमार
तेलंगाना के गठन की प्रक्रिया शुरू होने और इससे जुड़े विवाद से नये राज्यों के बनने की नयी संभावनाओं का द्वारा खुला है. झारखंड, उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ के गठन के बाद छोटे राज्यों पर फोकस बढा. इन राज्यों के निर्माण के वक्त विकास व गवर्नेस दो मुद्दे बने. झारखंड के साथ बने अन्य दो राज्यों की मांग या निर्माण के पीछे जो भी कारण रहे हों, लेकिन झारखंड के गठन की ऐतिहासिक...
More »न्याय की नई मरीचिका- विकास नारायण राय
जनसत्ता 7 नवंबर, 2013 : स्त्रियों के उत्पीड़न का एक और क्षेत्र कानून की गिरफ्त में आने को है। पुरुष वर्चस्व के नजरिए से बेहद नाजुक ‘इज्जत’ के नाम पर होने वाली हत्या का मसला फिलहाल उच्चतम न्यायालय के रडार पर है। अगर यौनिक हिंसा, लैंगिक उत्पीड़न का सर्वाधिक अपमानजनक रूप रही है तो ‘इज्जत’ हत्याएं इसका सर्वाधिक बर्बर रूप होती हैं। इसी तरह, घरेलू हिंसा में स्त्री का दासत्व...
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