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वैश्विक मंदी का कैसे करें सामना-- भरत झुनझुनवाला

विश्व अर्थव्यवस्था में मंदी गहरा रही है. ग्रीस के संकट से यूरोप के अंदरूनी हालात के संकेत मिलते हैं. मूल रूप से यूरोप की प्रतिस्पर्धा शक्ति का ह्रास हो रहा है. इसका परिणाम सर्वप्रथम ग्रीस जैसे कमजोर देश में प्रकट हुआ है. चीन भी संकट में है. वर्तमान में अमेरिका और यूरोप के बाजार ठंडे पड़ने लगे हैं. फलस्वरूप चीन के निर्यात दबाव में आ गये हैं. चीन को मजबूरन...

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अति पिछड़ों की राजनीतिक भूमिका-- बद्री नारायण

बिहार में अब सिर्फ दलितों और पिछड़ों की राजनीति नहीं हो रही, इसकी राजनीति का नया रुझान महादलित और अति पिछड़ों से जुड़ा है। ये दो श्रेणियां बताती हैं कि जिन्हें हम दलित और पिछड़े वर्गों की तरह देखते हैं, उनका स्वरूप हर जगह एक सा नहीं है। इन वर्गों के भीतर भी गैर-बराबरी, ऊंच-नीच या भेदभाव है। इसके चलते संसाधनों का समान वितरण नहीं हो पाता। इनके भीतर भी ऐसी...

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यूपीए-2 बनाम एनडीए-- सेहत पर किसका खर्च ज्यादा?

क्या यूपीए-2 के शासन के पहले साल के मुकाबले एनडीए की सरकार ने शासन के अपने पहले साल में स्वास्थ्य के मद में कम खर्च किया ?   हाल ही में जारी नेशनल हैल्थ प्रोफाइल 2015 के तथ्य ऐसा ही संकेत कर रहे हैं. साल 2009-10 में स्वास्थ्य के मद में खर्च होने वाले हर सौ रुपये में केंद्र सरकार ने 36 रुपये का खर्च किया और राज्य सरकारों ने 64 रुपये...

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मध्यप्रदेश में 2022 तक सबकों घर, नवंबर से शुरुआत संभव

हरीश दिवेकर, भोपाल। सबको घर देने के लिए राज्य सरकार आवास गारंटी कानून बना रही है। इसके अनुसार वर्ष 2022 तक हर किसी के पास खुद का घर होगा। इस अवधि के बाद मप्र में एक भी परिवार ऐसा नहीं होगा जिसके पास खुद की छत न हो। यदि किसी कारण से सरकार तय सीमा में आवास नहीं दे पाती है या आवास देने में देरी होती है, तो संबंधित...

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बोले राजन, महंगाई को काबू में रखने के लक्ष्य पर की ब्याज दरो में कटौती

अल्पकालिक नीतिगत दरों में आधी फीसदी की अप्रत्याशित कटौती कर सभी को आश्चर्यचकित करने वाले रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि दीर्घकाल तक महंगाई को काबू में रखने के लक्ष्य के साथ ही अर्थव्यवस्था के लिए जो सबसे बेहतर हो सकता था किया गया है।  राजन ने एक साक्षात्कार में कहा कि अर्थव्यवस्था के लिए जो सकारात्मक हो सकता था हमने किया है। हम अभी ऐसी परिस्थितियों...

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