बुजुर्ग समाजवादी चिंतक सच्चिदानंद सिन्हा के लेख व भाषण हम समय-समय पर छापते रहते हैं, जिनमें वह बार-बार चिह्न्ति करते हैं कि पर्यावरण और प्रकृति के विनाश के लिए अगर कोई जिम्मेदार है, तो वो है औद्योगीकरण और उपभोग आधारित अर्थव्यवस्था. और अगर इनसान नहीं चेता, तो इसी की वजह एक दिन वह खुद भी नष्ट हो जायेगा. एक और क्षेत्र उनकी चिंता में स्थायी रूप से रहता है कि अब...
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एमनेस्टी इंटरनेशनल ने मानवाधिकार रिकॉर्ड पर की नरेंद्र मोदी सरकार की आलोचना
लंदन : मानवाधिकार समूह एमनेस्टी इंटरनेशनल ने नरेंद्र मोदी सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि भारत में नये शासन में सांप्रदायिक हिंसा बढी है और भूमि अधिग्रहण अध्यादेश से हजारों भारतीयों के जबरन बेदखली का खतरा पैदा हो गया है. यहां जारी अपनी वार्षिक रिपोर्ट 2015 में एमनेस्टी ने 2014 मई के आम चुनावों को लेकर चुनाव संबंधी हिंसा, सांप्रदायिक झडपों और कॉरपोरेट परियोजनाओं पर सलाह मशविरे में नाकामी...
More »हमसे स्कूल मत छीनो - निवेदिता
मेरा शहर निहायत बदसूरत है। एक ऐसा शहर जहां पेड़-पौधे नहीं हैं, बाग नहीं हैं और जहां मौसम का फर्क सिर्फ आसमान में नजर आता है। उसके बावजूद कुछ है जिसने घोर दुखों के बीच जीवन को बनाए रखा है, सपने मरने नहीं दिए और जिसने लजाते सौंदर्य का उसकी खोह तक पीछा किया। सबसे अहम बात है जिंदगी के पक्ष में खड़ा रहना, अपनी दुनिया की बेहतरी के लिए...
More »छुआछूत मुक्त भारत क्यों नहीं- सुरेन्द्र कुमार
जिन साथी भारतीयों ने ईसाई या इस्लाम कुबूल कर लिया, उनकी दुर्दशा पर कुछ लोगों को विलाप करते देखना चमत्कार ही है। इसलिए वे अब उन 'अभागों' को वापस हिंदू धर्म में शामिल कर उनके दुर्भाग्य को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं! वास्तव में, वे भारत में हिंदुओं की संख्या बढ़ाने को लेकर चिंतित हैं। उनके लिए उन लोगों की स्थितियां कोई मायने नहीं रखती, जिनका धर्मांतरण या...
More »अभिव्यक्ति का अधिकार
जनसत्ता,(संपादकीय)पिछले कुछ सालों में इस पर काफी चिंता जाहिर की जा चुकी है कि फेसबुक, ब्लॉग, ट्विटर जैसे सोशल मीडिया के मंचों पर कुछ टिप्पणियों के आधार पर जिस तरह सरकार अभिव्यक्ति की आजादी पर लगाम लगाने की कोशिश कर रही है, उसका देश के लोकतांत्रिक ढांचे और बुनियादी उसूलों पर नकारात्मक असर पड़ेगा। खासकर सूचना तकनीक कानून की धारा 66-ए पर कई सवाल उठाए गए और अदालतों में इसके खिलाफ...
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