नारायणपुर, मो. इमरान खान। नक्सल हिंसा से जल रहे जिले के पहुंच विहीन गांव कोंगेरा और कौशलनार के ग्रामीणों ने मिसाल कायम की है। ग्रामीणों ने अपनी सहूलियत के लिए सरकार को 13 एकड़ जमीन दान में दिया है। यह वह गांव है जहां 29 जून 2010 को सीआरपीएफ के 27 जवान मुठभेड़ में वीरगति को प्राप्त कर चुके हैं। कलेक्टर टामन सिंह सोनवानी ने बताया कि कुछ माह पहले कोंगेरा...
More »SEARCH RESULT
सोच और धारणा को नियंत्रित करती डिजिटल दुनिया-- ब्रेट फिचमैन
गूगल कंपनी की जबसे शुरुआत हुई है, तभी से इसके सर्च इंजन की प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी विद्वानों के बीच चिंता का विषय रही है। स्वचालित कार, स्मार्टफोन और सर्वव्यापी ईमेल के क्षेत्र में उतरने के बहुत पहले से गूगल से यह पूछा जाता रहा है कि वह उन सिद्धांतों और विचारधाराओं की व्याख्या करे, जिनके आधार पर वह यह तय करती है कि सूचनाएं किस रूप में हम...
More »स्थानीयता है कुंजी-- नीलम गुप्ता
जलवायु परिवर्तन, भूख, कुपोषण, बढ़ती गरीबी, घटते संसाधन, ये सभी ऐसी समस्याएं हैं जिनसे आज सारी दुनिया जूझ रही है। अरबों रुपए इन समस्याओं के हल के लिए अंतराष्ट्रीय सम्मेलनों पर खर्च किए जा चुके हैं। आगे भी किए जाएंगे। पर हल तब भी शायद ही निकले। तो क्या किया जाए? गांधी-विचारों में रची-बसी, स्वाश्रयी महिला सेवा संघ (सेवा), अमदाबाद की संस्थापक और गुजरात विद्यापीठ की चांसलर इला भट्ट के...
More »विकास की परिभाषा में बच्चे कहां!-- अनुज लुगुन
हमारा समाज एक ऐसी दिशा की ओर बेलगाम अग्रसर होता जा रहा है, जहां सब कुछ या तो बहुसंख्यक के लिए ही हो रहा है, या आवाज उठा सकनेवालों के लिए ही हिस्सेदारी बच रही है. जो मूक हैं, या मासूम हैं, उनके लिए कुछ भी नहीं बच रहा है. आज प्रकृति-जीव और बच्चे सामूहिक संहार के शिकार हो रहे हैं, क्योंकि वे अपनी भाषा मनुष्यों को समझा नहीं सकते....
More »विद्रूप का शिक्षाशास्त्र-- शचीन्द्र आर्य
हम जिस दौर से गुजर रहे हैं, उसकी पहचान करने वाले कौन-कौन से औजार हमारे पास हैं! हमें एक बार फिर उन्हें दुरुस्त कर लेना होगा। हमें पता होना चाहिए कि हमारे साथ क्या हो रहा है! जो हो रहा है, वह इस पृथ्वी के किसी खास भौगोलिक खंड में एक नाम से पुकारे जाने वाले सामाजिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक निर्मिति के भीतर निर्मित होते एक देश में कैसे उसी आकार...
More »