इस बात में कोई संदेह नहीं कि आज आबादी के बोझ से चरमराते हमारे शहरों के लिए मूलभूत सुविधाएं पहली प्राथमिकता होनी चाहिए. इन मूलभूत सुविधाओं में पीने का साफ पानी, शोधित सीवरेज, कचरे का निष्पादन, देश के हर कोने में चौबीस घंटे बिजली आपूर्ति, सुचारु यातायात और बेहतर चिकित्सा हासिल करना जैसी चुनौतियां शामिल हैं. लेकिन, इनसे भी ज्यादा जरूरी है स्वच्छ माहौल, जो तभी मिल सकता है,...
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खेती फायदेमंद तभी किसान खुशहाल-- मोंटेक सिंह अहलूवालिया
खेती-किसानी की बदहाली की खबरें इधर काफी सुर्खियों में रही हैं। अटकलें लगाई जा रही थीं कि अंतरिम बजट में आय हस्तांतरण से जुड़ी कुछ योजनाएं घोषित की जाएंगी। ऐसा हुआ भी। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत सरकार ने किसानों को सालाना आय देने की घोषणा की है। मगर कृषि संकट से पार पाने के लिए हमारे राजनीतिक दलों को छह बातों पर गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत...
More »बजट में हो ‘भारत’ पर नजर- निशिकांत दुबे
वर्ष 2019-20 का केंद्रीय बजट एक ऐसे वक्त में पेश होने जा रहा है, जब पूरा विश्व जटिल आर्थिक परिस्थितियों का शिकार है. विश्व की बड़ी औद्योगिक अर्थव्यवस्थाओं में अपस्फीति (डीफ्लेशन) की प्रवृत्ति एक ऐसा जोखिम बनकर उभरी है, जिसके प्रभाव से आगामी कई वर्षों के लिए वैश्विक विकास के अवरुद्ध हो जाने का खतरा मंडरा रहा है. वैसे, यह एक दूसरी बात है कि कच्चे तेल तथा अधिकांश जिंसों...
More »जब सोच बदलेगी तो खिलेंगी बेटियां-- रमा गौतम
हमारा समाज बेशक आज मार्डन हो गया है। समाज के लोग यही कहते है कि हमने आज तक बच्चों में कोई फर्क नहीं किया और हमारे लिए तो बेटा-बेटी एक समान हैं। मगर, वास्तविकता कुछ और ही होती है। लड़कों के मामले में हम बहुत खुले विचार रखते हैं। मगर, लड़की की बात आते ही कहीं न कहीं हमारी सोच थोड़ी सिकुड़ जाती है, इसी के चलते सृष्टि को आगे...
More »तमिलनाडु में महात्मा की चमक-- रामचंद्र गुहा
महात्मा गांधी आधुनिक युग के ऐसे इंसान हैं, जो किसी भी अन्य भारतीय की अपेक्षा अपने होने को सार्थक करते हैं। एक ऐसे हिंदू, जिन्होंने मुसलमानों के समान अधिकारों के लिए अपना करियर तो समर्पित किया ही, जीवन भी बलिदान कर दिया। 1922 में राजद्रोह के मुकदमे की सुनवाई कर रहे अंग्रेज जज ने पेशा पूछा, तो उनका जवाब था- ‘किसान और बुनकर'। जीवन यापन के दो ऐसे तरीके, जो...
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