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चोरी भी सीनाजोरी भी- राहुल कोटियाल(तहलका)

कैसे काइनेटिक समूह के मालिकों ने बैंकों को 200 करोड़ रुपये का चूना लगाया और सरकार ने उन्हें फिर भी सम्मानित किया? राहुल कोटियाल की रिपोर्ट. उत्तराखंड के टिहरी जिले का एक गांव है सिंजल. बीते दिनों आई आपदा में यहां के कई घर जमींदोज हो गए. हरी सिंह इस गांव के उन लोगों में से हैं जिन्होंने आपदा में अपना सब कुछ खो दिया. लगभग एक महीने बाद सरकार ने आपदा राहत...

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विदेश में इलाज का मर्ज- मृणालिनी शर्मा

जनसत्ता 26 सितंबर, 2013 : भारत सरकार के कार्मिक मंत्रालय ने हाल ही में चुपके से एक फैसला लिया है, जिसके अनुसार भारतीय प्रशासनिक सेवा, पुलिस सेवा और वन सेवा जैसी अखिल भारतीय सेवाओं के लगभग पांच हजार कर्मचारी अपने इलाज के लिए विदेश जा सकते हैं। विदेश जाने का हवाई किराया और वहां दो महीने तक रहने का खर्च भी सरकार उठाएगी। दो महीने की यह अवधि अगर जरूरी...

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रुपये को खा गया विदेशी निवेश- डा. भरत झुनझुनवाला

देश की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ करने के लिए सरकार को खपत कम और निवेश अधिक करने होंगे. विदेशी निवेश से प्राप्त रकम का सदुपयोग हाइवे तथा इंटरनेट सुविधाओं के लिए किया जायेगा, तभी रुपया स्थिर होगा. रुपये में आयी गिरावट का मूल कारण हमारे नेताओं का विदेशी निवेश के प्रति मोह है. विदेशी निवेश को आकर्षित करके देश को रकम मिलती रही. देश की सरकार इस रकम का उपयोग मनरेगा या भोजन...

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मुक्त बाजार का दुश्चक्र- सुनील

जनसत्ता 27 अगस्त, 2013 : रुपया लुढ़कता जा रहा है। इसे रोकने की भारत सरकार और रिजर्व बैंक की सारी कोशिशें नाकाम होती जा रही हैं। चारों तरफ घबराहट फैल रही है। इसका भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ रहा है। पेट्रोल सहित तमाम आयातित वस्तुएं महंगी होने से महंगाई का एक नया सिलसिला शुरू हो रहा है। एक तरह से हम महंगाई का आयात कर रहे हैं। इतना ही नहीं, विदेशी...

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1991 जैसे संकट की नौबत नहीं: मनमोहन

नई दिल्ली। डालर के मुकाबले गिरते रुपए और शेयर बाजार में जारी गिरावट को थामने के सरकार के प्रयासों के बीच प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने देश में 1991 के भुगतान संकट की पुनरावृत्ति और अर्थव्यवस्था के वैश्वीकरण की राह से हटने की आशंकाओं को शनिवार को खारिज कर दिया। प्रधानमंत्री ने वैश्वीकरण और वित्तीय समस्याओं से घिरी अर्थव्यवस्था में मौद्रिक नीति की सीमाओं और संभावनाओं पर नए सिरे से गौर...

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