संयुक्त राष्ट्र संघ की द स्टेट ऑव द वर्ल्डस् इंडीजीनस पीपल्स नामक रिपोर्ट में कहा गया है कि मूलवंशी और आदिम जनजातियां पूरे विश्व में अपनी संपदा-संसाधन और जमीन से वंचित और विस्थापित होकर विलुप्त होने के कगार पर हैं। रिपोर्ट में भारत के एक सूबे झारखंड में चल रहे खनन कार्य के कारण विस्थापित हुए संथाल जनजाति के हजारो परिवारों का हवाला देते हुए कहा गया है कि उन्हें समुचित मुआवजा तक हासिल नहीं हो...
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बैल आधारित खेती की ओर लौटेगा मध्यप्रदेश
भोपाल। सूचना प्रौद्योगिकी के दौर में कदमताल करने के लिए आईटी पार्क बनाने वाला मध्यप्रदेश खेती के मामले में जैविक और पशु आधारित तरीके को अख्तियार करने जा रहा है। कृषि मंत्री डॉ. रामकृष्ण कुसमारिया प्रदेश की जैविक कृषि नीति का प्रारुप को अंतिम रूप देने में जुटे हैं। इस प्रारूप को 16 जनवरी को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को सौंपा जाएगा। अनाज उत्पादन बढ़ाने के लिए रासायनिक खाद की बढ़ती मांग के बीच...
More »भेंटवार्ता जोन पी मेंशे से- वकार अहमद सईद
नृत्त्वशास्त्र की अध्येता जॉन पी मेंशे से की गई यह भेटवार्ता फ्रंटलाइन से साभार ली गई है। प्रोफेसर जोन पी मेंशे नृत्तत्वशास्त्र की अध्येता हैं। उन्होंने बरसों तक सिटी यूनिवर्सिटी ऑव न्यूयार्क के ग्रेजुएट सेंटर और इसी यूनिवर्सिटी के लेहमान कॉलेज में अपने विषय का अध्यापन किया है। प्रोफेसर मोंशे सेकेंड चांस फाऊंडेशन नामक एक नॉट फॉर प्राफिट संस्था की अध्यक्ष भी हैं। यह संस्था भारत और संयुक्त राज्य...
More »सऊदी अरब ने मुश्किल की भारतीय बासमती की राह
नई दिल्ली : आर्थिक संकट से प्रभावित सऊदी अरब ने बासमती के लिए भारत के न्यूनतम निर्यात मूल्य का कम स्तर देखते हुए इसके आयात पर सब्सिडी को वापस लेने का फैसला किया है। इसके ...
More »पर्यावरण की राजनीति और धरती का संकट
खुद मनुष्य ने अपनी भावी पीढ़ियों की जिंदगी को दांव पर लगा दिया है। दुनिया भर में चिंता की लकीरें गहरी होती जा रही हैं। सवाल ल्कुल साफ है- क्या हम खुद और अपनी आगे की पीढ़ियों को बिगड़ते पर्यावरण के असर से बचा सकते हैं? और जवाब भी उतना ही स्पष्ट- अगर हम अब भी नहीं संभले तो शायद बहुत देर हो जाएगी। चुनौती हर रोज ज्यादा बड़ी होती...
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