नई दिल्ली। सरकार ने शुक्रवार को कहा कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में हिंसा की आशंका के मद्देजनर वह यात्रियों की जान खतरे में डालकर सुपरफास्ट ट्रेनों का तेज गति से परिचालन नहीं कर सकती। सभी राज्यों से यह अनुरोध किया गया है कि वे ट्रेनों की सुरक्षा की ओर ध्यान दें। राज्यसभा में आज प्रश्नकाल के दौरान रेल मंत्री ममता बनर्जी ने प्रोफेसर अलका क्षत्रिय के सवाल के जवाब में स्वीकार किया कि कई...
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मौत के आगोश में रोटी की तलाश
बठिंडा [मनीष शर्मा]। वे हर रोज मौत के आगोश में माया की तलाश करते हैं। शहर के पश्चिमी क्षेत्र के 25 परिवार करीब दस मीटर से अधिक गहरी सरहिंद नहर में गहरा गोता लगाकर रोजी-रोटी का बंदोबस्त करते हैं। उनके हाथ धार्मिक कर्मकांड के तहत लोगों द्वारा नहर में फेंके गए सोने-चांदी के आभूषणों, सिक्कों व अन्य सामान की तलाश करते हैं। पानी में पांच से दस मिनट रहने के बाद कई दफा उनकी...
More »‘मेरे पास कोई बटन नहीं है जिसे दबाकर चीजें तुरंत बदल दूं’- नीतीश कुमार
बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव हैं, लेकिन लगता नहीं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इस चुनौती की ज्यादा फिक्र है. विजय सिम्हा से बातचीत में नीतीश बता रहे हैं कि उनकी सरकार तीन सबसे प्रमुख मुद्दों- निवेश, शिक्षा और भूख पर कैसे आगे बढ़ने वाली है और क्यों उन्हें इस मामले में केंद्र से मदद मिलने की उम्मीद नहीं है. (तहलका हिन्दी से साभार) बिहार में भूख अभी भी एक समस्या है, लेकिन इसे...
More »मासूम मुस्कानों ने मोगल को बनाया बबलू
हाजीपुर। कदम चूम लेती है खुद चलकर मंजिल, राही अगर अपनी हिम्मत न हारे यह पंक्तियां कभी वैशाली के डान रहे बबलू पर पूरी तरह फिट बैठती हैं। अपहरण समेत अन्य संगीन मामलों में कई बार जेल जाने से समाज में उसकी अलग पहचान बन गयी थी। देखते ही देखते गाव का सीधा-साधा बबलू मोगल के रूप में चर्चित हो गया था। करीब दो दशकों तक पुलिस और उसके बीच लुकाछिपी का खेल चलता...
More »चौथी पास एक नन्ही टीचर
अकोढ़ीगोला [रोहतास, कमलेश कुमार]। रेल पटरी के पास पड़ी एक नवजात बच्ची। फुलवा की उस पर नजर पड़ी और घर ले आई। उसे जीने का मकसद और नवजात को नयी जिंदगी मिल गई। फुलवा ने उसका नाम 'भारत' की भारती रखा। उसका सपना कि वह पढ़ लिखकर टीचर बने और समाज को शिक्षित बनाए। फुलवा तो अब नहीं है, लेकिन उसकी बेटी अपने मां के मकसद को जरूर साकार कर रही है। वह टोले...
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