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IFPRI रिपोर्ट: सरकार को महामारी के दौरान पोषण सहायता, शिक्षा और नौकरियों के मामले में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए!

अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (आईएफपीआरआई) की एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि 25 मार्च, 2020 को किए गए देशव्यापी लॉकडाउन, जिसे लगभग दो महीने के लिए चरणों में बढ़ाया गया था, ने भारतीय आबादी के कमजोर वर्गों के भोजन और पोषण की स्थिति को प्रभावित किया. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि मिड-डे मील योजना जैसे कार्यक्रम से देश के प्राथमिक-विद्यालय आयु वर्ग के 80 प्रतिशत...

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वे दस गलत नीतियां जो मोदी सरकार के सात साल को परिभाषित करती हैं

-जनपथ, मोदी सरकार ने सात साल पूरे कर लिए हैं। किसी भी समाज, देश या व्यक्ति के मूल्यांकन के लिए सात वर्ष पर्याप्त होते हैं। सात साल में ऐसी दस महत्वपूर्ण गलतियाँ थीं, जो निस्संदेह मोदी सरकार को परिभाषित करेंगी। विमुद्रीकरण: यह किसी भी सूची में सबसे ऊपर होगा क्योंकि इसकी सफलता की कमी और व्यापक तबाही ने अर्थव्यवस्था पर इसका असर डाला। विदेशों में बिजनेस स्कूलों में अब एक चेतावनी के रूप...

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यूपी सरकार ने माना, बेसिक शिक्षा विभाग में कोविड से क़रीब डेढ़ हज़ार शिक्षकों-कर्मचारियों की मौत

-द वायर, प्रदेश सरकार ने माना है कि बेसिक शिक्षा विभाग में कोविड-19 संक्रमण से शिक्षकों सहित 1,474 कार्मिकों की मृत्यु हुई है. इसके अलावा पिछले वर्ष से अब तक 812 कार्मिकों की नॉन-कोविड कारणों से मौत हुई है. महानिदेशक स्कूली शिक्षा द्वारा अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा को दो जून को भेजी गई एक रिपोर्ट में बताया गया है कि विभाग में कोविड-19 के कारण कुल 1,474 कार्मिकों की मृत्यु हुई...

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महामारी के दौर में वैज्ञानिक दृष्टिकोण

-न्यूजलॉन्ड्री, रूपक हमें किसी भी बोध के लिए विशेषण सुझाते हैं. भारत बमुश्किल अभी भिखारियों, सपेरों, और राजाओं के देश के रूपक की केंचुली उतार ही पाया था, कि अब वो ताली, थाली और दिए से एक वायरस से लड़ने की सोचने वाले देश के रूपक में जकड़ गया. भारत की तमाम वैज्ञानिक और तकनीकी उपलब्धियां उस प्रतिछवि से ग्रस्त हो जाती हैं, गो-कोरोना-गो के चिल्लाने, और गोमूत्र एवं गोबर के...

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कोविड-19 के मामूली संक्रमण के बाद भी उम्र भर बनी रह सकती है इम्यूनिटी

-डाउन टू अर्थ,  यदि किसी व्यक्ति को एक बार कोविड-19 का मामूली संक्रमण हो जाता है, तो उसके शरीर में लम्बे समय तक इस बीमारी के खिलाफ रोग प्रतिरोधक क्षमता बनी रहती है। ऐसे में इस बीमारी के दोबारा होने की सम्भावना काफी कम हो जाती है। यह जानकारी हाल ही में सेंट लूइस के वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन द्वारा किए एक शोध में सामने आई है, जोकि अंतराष्ट्रीय जर्नल...

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