जनसत्ता 11 नवंबर, 2014: एक समय था जब देश के जिला केंद्र ही नहीं, अनेक कस्बों में भी भाषा, गणित और विज्ञान के ऐसे शिक्षक होते थे जिनकी स्थानीय ख्याति हुआ करती थी। यह दो पीढ़ी पहले तक की बात है। तब विद्यालयों के पास संसाधन कम थे और शिक्षकों का वेतन भी बहुत कम था। स्कूल के कमरे, मामूली कुर्सी, बेंच, पुस्तक, छात्र और शिक्षक, यही तत्त्व शिक्षा-परिदृश्य बनाते...
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भूखे रहने को मजबूर क्यों अन्नदाता? - देविंदर शर्मा
पिछले लगातार तीन वर्षों से गेहूं की खेती करने वाले किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य में 50 रुपए प्रति क्विंटल की मामूली बढ़ोतरी पाते रहे हैं। यह गेहूं के किसानों को भुगतान किए जा रहे दामों में तकरीबन 3.6 फीसद की बढ़ोतरी को दर्शाता है। यदि इसकी तुलना सितंबर में केंद्रीय कर्मचारियों को दिए गए 7 फीसद अतिरिक्त महंगाई भत्ता से करें तो पता चलता है कि असंगठित क्षेत्र में किसानों...
More »बागवानी के अच्छे दिन!
यह सच है कि फल-सब्जियों की कीमतें बढ़ी हैं और यह भी सच है कि बीते बीस सालों(1991-91 से 2012-13) में देश में फल-फूल, सब्जी और मसालों की खेती का रकबा दोगुना बढ़ा है। नतीजतन, वानिकी-उत्पादन में तकरीबन तीन गुना(2.8 प्रतिशत) की बढ़ोत्तरी हुई है। कृषि मंत्रालय की एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि बीते बीस सालों में वानिकी का रकबा 1 करोड़ 20 लाख 77 हजार हैक्टेयर से...
More »क्या घट सकती है देश की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर !
नयी दिल्ली: राष्ट्रीय व्यावहारिक आर्थिक अनुसंधान परिषद (एनसीएईआर) ने वृद्धि परिदृश्य की अनिश्चितताओं के चलते मौजूदा वित्त-वर्ष में जीडीपी वृद्धि दर का अपना अनुमान घटाकर पांच प्रतिशत किया है. दिल्ली की इस शोध संस्था ने इससे पहले अनुमान लगाया था कि 2014-15 में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 5.7 प्रतिशत रहेगी. एनसीएईआर ने एक बयान में कहा है कि मौजूदा अनिश्चितताओं के बीच अर्थव्यवस्था की बुनियादी हालत कमजोर हुई है पर एफडीआई...
More »चीनी पर किसानों का पहला हक- वी एम सिंह
उत्तर प्रदेश में गन्ना सबसे बड़ी नकदी फसल है। इससे सीधे तौर पर 50 लाख किसान और उन पर आश्रित करीब दो करोड़ लोग जुड़े हुए हैं। मैं पिछले 20 वर्षों से गन्ना किसानों के हक में चीनी मिल मालिकों और प्रदेश व केंद्र सरकारों के खिलाफ लगातार लड़ाई लड़ रहा हूं। इस दौरान किसानों के पक्ष में अदालत से बहुत सारे ऐसे अहम फैसले हुए, जिनका तात्कालिक और दूरगामी असर...
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