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कमलनाथ के क्षेत्र में बिना मंजूरी के बन रहा है बांध..

अंबरीश कुमार, लखनऊ। महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश सीमा पर स्थित पेंच नदी पर 41 मीटर का बड़ा बांध केंद्रीय मंत्री कमलनाथ के निर्वाचन क्षेत्र में बिना केंद्र सरकार की मंजूरी के बन रहा है। यह आरोप जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय की सदस्य मेधा पाटकर ने लगाया है। मेधा पाटकर ने पेंच परियोजना के खिलाफ आंदोलन छेड़ने से पहले जनसत्ता से बात करते हुए यह जानकारी दी। इस परियोजना में बांध क्षेत्र...

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सूचना अधिकार में सेंध- गौरव कुमार

जनसत्ता 1 नवंबर, 2012: पारदर्शी, भ्रष्टाचार-मुक्त, लोकहित केंद्रित कल्याणकारी प्रशासन के वादों के साथ बारह अक्तूबर 2005 को यूपीए सरकार ने सूचना का अधिकार कानून लागू किया। देश में अपनी तरह का यह पहला कानून था, जिसने लोगों के हाथ में सूचना पाने का अधिकार दिया। इसके पहले 1923 का जो कार्यालय गोपनीयता कानून था वह ब्रिटिश-हितों के लिए बनाया गया था, जिसके अंतर्गत यह प्रावधान था कि जनता को सरकारी...

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जीएम फसलों के जमीनी परीक्षण पर रोक का स्वागत

सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त टेक्निकल एक्सपर्ट कमिटी ने अपनी सिफारिश में कहा है कि भारत में अगले 10 साल तक जीएम( परिवर्तित आणुवांशिकी वाले) फसलों के जमीनी परीक्षण पर रोक लगायी जानी चाहिए। पर्यावरणवादी समूहों, नागरिक संगठनों और वैज्ञानिकों ने इस सिफारिश का स्वागत किया है। समिति की सिफारिशों में भोजन के तौर पर इस्तेमाल होने वाली सारी बीटी-ट्रांसजेनिक फसलों के जमीनी परीक्षण पर रोक लगानी की बात शामिल है( मूल रिपोर्ट और विस्तृत ब्यौरे के...

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पेड न्यूज के लिए उम्मीदवारों के साथ पार्टियों पर भी नजर रखेगा चुनाव आयोग

नयी दिल्ली, 21 अक्तूबर (एजेंसी) गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनावों के दौरान उम्मीदवारों द्वारा पैसे देकर खबरें प्रकाशित प्रसारित कराने की शिकायतों से निपटने के लिए चुनाव आयोग ने जहां सख्त दिशानिर्देश जारी किये हैं, वहीं इस मामले में राजनीतिक दलों की गतिविधियों पर भी नजर रखी जाएगी। सूत्रों का कहना है कि राज्य में चुनाव अधिकारियों और मीडिया प्रमाणन तथा निगरानी समितियों :एमसीएमसी: को आयोग पहले ही निर्देश...

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भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष का कठिन दौर-सुरेंद्र किशोर

जनसत्ता 22 अक्टुबर, 2012: भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों पर भी देश का लगभग पूरा राजनीतिक वर्ग आरोपितों का इन दिनों अतार्किक ढंग से बचाव करता नजर आ रहा है। कोई दल या नेता अपनी कमी या गलती मानने को आज तैयार नहीं है। सुधरने का तो कहीं से दूर-दूर तक कोई संकेत नहीं। इससे भी, भ्रष्टाचार की समस्या की गंभीरता का पता चलता है। देश के अधिकतर नेताओं के ताजा रुख...

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