खूंटी के सेफागड़ा गांव की रहने वाली अमिता टूटी से आप 5-10 मिनट किसी भी विषय पर बात कर लें, तो उनकी गहरी संवेदनशीलता का आपको अहसास हो जायेगा. अपने आसपास व आदिवासी समुदाय के लोगों की परेशानियों और उजड़ते जंगल व पर्यावरण के संकट ने उन्हें जंगल बचाने वाली आंदोलनकारी बना दिया. पिछले आठ-नौ सालों से वे जंगल बचाओ आंदोलन से जुड़ कर वन रक्षा व उसके विस्तार के लिए...
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गांव के वोट से तय होती है हार या जीत
झारखंड की 14 लोकसभा सीटों में से तीन लोकसभा सीटें ही ऐसी हैं, जिन्हें शहरी या अर्धशहरी प्रकृति की लोकसभा सीटें कह सकते हैं. ये हैं : धनबाद, रांची, जमशेदपुर. धनबाद लोकसभा क्षेत्र के अंदर शहरी व अर्ध शहरी बसावटें हैं. जमशेदपुर लोकसभा क्षेत्र के विस्तार क्षेत्र में फैले विभिन्न प्रकार के उद्योगों के कारण भी वहां काफी शहरीकरण हुआ है. उसी तरह रांची लोकसभा क्षेत्र में राज्य की राजधानी होने...
More »किसानों को राहत का फैसला चुनाव आयोग की मंजूरी पर टिका
कोलकाता. पिछले दिनों राज्य में ओलो की हुई बारिश से भारी मात्रा में फसल को नुकसान हुआ है. किसानों ने सरकार से मदद की गुहार लगायी है, पर इन किसानों को राहत देने के लिए राज्य सरकार को चुनाव आयोग के फैसले पर निर्भर करना होगा. राज्य कृषि विभाग के अनुसार बर्फ के बड़े-बड़े टुकड़ों के गिरने एवं भारी बारिश के कारण लगभग 50 हजार किसान प्रभावित हुए हैं. उत्तर 24...
More »पानी के सवाल से क्यों बचते हैं राजनीतिक दल- विनीत नारायण
चुनाव का बिगुल बजते ही राजनीतिक दल अब इस बात को लेकर असमंजस में हैं कि जनता के सामने वायदे क्या करें? यह पहली बार हो रहा है कि विपक्षी दलों को भी कुछ नया नहीं सूझ रहा है। दरअसल हाल ही में बड़े वायदे के साथ दिल्ली में सत्ता में आई केजरीवाल सरकार की जिस तरह की फजीहत हुई, उससे तमाम विपक्षी दलों के सामने चुनौती खड़ी हो गई...
More »घोषणापत्रों में नजरंदाज होते किसान
चुनाव अभियान पूरे देश में जोर-शोर से जारी है, लेकिन इसमें न किसान कहीं दिख रहा है और न किसान की चिंता। जहां भारत की लगभग 60 प्रतिशत आबादी कृषि और उससे जुड़े उद्योगों पर निर्भर है, वहां उस तबके की उपेक्षा हैरान करने वाली है। यह भी खबर आ रही है कि इस बार प्रमुख पार्टियों का ध्यान उन 250 सीटों पर ही है, जिनके बारे में माना जा...
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