कॉरपोरेट प्रायोजित मीडिया की ओर से बनाई गई धारणा के उलट महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) से अहम नतीजे मिले हैं। अगर मीडिया की कुछ रिपोर्टों पर ग़ौर करें तो लगेगा कि मनरेगा के तहत शुरू हुए सार्वजनिक काम पूरी तरह बेकार हैं। हाल में एक संपादकीय में कहा गया, "देश के ज्यादातर हिस्सों में इसका (मनरेगा) मतलब बेमकसद गड्ढे खोदना और उन्हें भरना है।" इस बयान के...
More »SEARCH RESULT
न्यूनतम सरकार अधिकतम शोषण- के सी त्यागी
श्रमिकों के शोषण का लंबा इतिहास रहा है। इसके विरुद्ध श्रमिकों ने समय-समय पर आवाज उठाई। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर श्रम कानून बने। मजदूर संगठित हुए, उन्हें अधिकार मिले, स्वतंत्रता मिली, सामाजिक सुरक्षा का दायरा बढ़ा। इसका असर हमने भारत में भी देखा। लेकिन नई औद्योगिक नीति और उदारीकरण का दौर परवान चढ़ने के साथ ही श्रमिक फिर शोषण का शिकार हुए। उनका सामाजिक दायरा घटा, अधिकार सिकुड़ते चले गए। इसी...
More »लघु उद्योगों को संवारने का है संकल्प - कलराज मिश्र
नरेंद्र मोदी ने जब प्रधानमंत्री के रूप में कामकाज संभाला और गांधी जयंती के मौके पर पहली बार रेडियो के माध्यम से 'मन की बात" की तो उन्होंने खादी के महत्व का बखान करते हुए हर देशवासी को खादी का एक उत्पाद अवश्य खरीदने की अपील की। इसका व्यापक असर हुआ और खादी की बिक्री में ऐतिहासिक बढ़ोतरी दर्ज की गई। इस अपील के बाद सबका ध्यान सूक्ष्म, लघु एवं...
More »AAP सरकार को नहीं पता, दिल्ली में कितने लोग अक्षम
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। शारीरिक व मानसिक रूप से अक्षम लोगों के लिए योजनाएं व सुविधाएं प्रदान कर उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने की कवायद चलताऊ तरीके से हो रही है। दिल्ली सरकार के समाज कल्याण विभाग के पास आज भी कोई आंकड़ा नहीं है कि शारीरिक रूप से कितने अक्षम लोग यहां रह रहे हैं। इसी का नतीजा है सरकार आज तक इनके लिए कोई कारगर कदम नहीं...
More »उत्तराखंड की बाढ़ से सबक- हरीश चंद्र पंत
उत्तराखंड में मूसलाधार बारिश के कारण चारधाम यात्रा रोक दी गई है। इस वर्षा ने दो साल पुरानी उस त्रासदी की याद दिला दी है, जिसमें लोगों ने अपना सब कुछ खो दिया था। हम उस आपदा के लिए भगवान को दोषी ठहराते रहे, जबकि वह बाढ़ मानव निर्मित थी। ऐसी विपदाओं से निपटने के लिए राष्ट्रीय एवं राज्य आपदा प्रबंधन बोर्ड की स्थापना की गई थी। पर उसका कोई...
More »