नई दिल्ली [प्रदीप कुमार मील]। एक अनुमान के मुताबिक विश्व के कुल काम के घटों में से महिलाएं दो तिहाई घटे काम करती हैं, लेकिन वह केवल 10 फीसदी आय ही अर्जित करती हैं और विश्व की केवल एक फीसदी संपत्ति की ही मालकिन हैं। भारतीय संदर्भ में महिला श्रम या श्रम में महिलाओं की भागीदारी पर बात करते समय पिछले कुछ वर्षो में तीन विषेष तथ्य सामनें आतें...
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बीजों के मूल्य पर नियंत्रण से बेबश हैं निजी कंपनियां
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। कुछ राज्यों में बीजों के मूल्य पर नियंत्रण कानून लागू करने से बीज कंपनियों की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। इन कंपनियों ने सरकार से संसद में विचाराधीन 'बीज विधेयक-2004' में किसी तरह का संशोधन न करने की गुजारिश की है। जबकि गुजरात, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्य बीज मूल्य पर नियंत्रण बनाए रखने के हिमायती हैं। इस संबंध में राष्ट्रीय बीज संघ के एक प्रतिनिधिमंडल ने...
More »विवाद के बीज- एक विधेयक बहुराष्ट्रीय निगमों के पक्ष में?
सरकार जिस बीज विधेयक को पारित करने के फिराक में है उसके बारे में सबसे मौजूं सवाल यह है कि क्या इससे किसानों की जीविका का कोई हित सध पाएगा या फिर इस विधेयक के पारित होते ही बीजों के बाजार में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए सरपट दौड़ लगाने का रास्ता खुल जाएगा और किसानों के हितों की अनदेखी होगी। नये बिल की मंशा बीजों के बाजार का नियमन करना...
More »बिहार में होगी दूसरी हरित और श्वेत क्रांति
पटना पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में कृषि उत्पादन चरम पर पहुंचने के बाद अब नीचे खिसक रहा है। यहां अब कृषि विकास की ज्यादा संभावनाएं नहीं हैं। ऐसे में बिहार, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल जैसे पूर्वोत्तर राज्य ही दूसरी हरित क्रांति के केंद्र बनेंगे। केंद्र को चाहिए कि वह इन राज्यों को पर्याप्त वित्तीय सहायता उपलब्ध कराये। उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने सोमवार को बिहार...
More »पर्यावरण की राजनीति और धरती का संकट
खुद मनुष्य ने अपनी भावी पीढ़ियों की जिंदगी को दांव पर लगा दिया है। दुनिया भर में चिंता की लकीरें गहरी होती जा रही हैं। सवाल ल्कुल साफ है- क्या हम खुद और अपनी आगे की पीढ़ियों को बिगड़ते पर्यावरण के असर से बचा सकते हैं? और जवाब भी उतना ही स्पष्ट- अगर हम अब भी नहीं संभले तो शायद बहुत देर हो जाएगी। चुनौती हर रोज ज्यादा बड़ी होती...
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