सरकारी राजकोष का बेहतर रूप दिखाने के लिए आंकड़ों की बाजीगरी की भी सहायता ली गयी है. यह बाजीगरी विफलता को कुछ समय के लिए ही छिपा सकती है. सच कुछ समय के बाद सामने आ ही जाता है. पर चिदंबरम को इसकी चिंता क्यों हो? केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने आगामी वित्त वर्ष के पहले चार महीनों का लेखानुदान पेश करते हुए देश की अर्थव्यवस्था और खास कर केंद्र...
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कटते जंगल किसका मंगल- मुस्कान
जनसत्ता 8 फरवरी, 2014 : विकास के पूंजीवादी-नवउदारवादी मॉडल की कुछ खास तरह की जरूरतें होती हैं। या कहें कि यह मॉडल आर्थिक संवृद्धि के एवज में कुछ खास बलिदानों की मांग करता है। हम देखते हैं कि भारत सरीखे अधिकतर विकासशील देश इन बलिदानों के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। अब सवाल है कि विकास की प्रचलित अवधारणा किन बलिदानों की मांग करती है? और ये बलि के बकरे...
More »बिहार:चंदन ने गोबर से निकाली सीएनजी
नरकटियागंज : डीजल के दाम में लगातार हो रही बढ़ोतरी से परेशान किसानों के लिए अच्छी खबर है. अब वे गोबर से उत्पादित होनेवाला बायो सीएनजी से ट्रैक्टर व अन्य कृषि उपकरण चला सकते हैं. यह कारनामा किया है पश्चिमी चंपारण जिले के बढ़निहार गांव के एक युवा इंजीनियर ने. किसान विजय पांडेय के पुत्र चंदन पांडेय गोबर से सीएनजी का उत्पादन कर न केवल ट्रैक्टर चला रहे हैं, बल्कि...
More »रईसों की कारों ने लगाया सरकार की तिजोरी को 12100 करोड़ रुपए का चूना
पूरे देश में हुआ सर्वे देश में सबसे ज्यादा पेट्रोल (61 फीसदी) दोपहिया वाहन फूंकते हैं। कार का स्थान उसके बाद आता है जिसमें 34 फीसदी ही खपत होता है पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के अधीन गठित पीपीएसी ने पिछले दिनों मार्केट सर्वे करने वाली फर्म नीलसन इंडिया के साथ मिल कर अखिल भारतीय स्तर पर एक अध्ययन किया इसमें मिले अंाकड़ों से पता...
More »केलकर रिपोर्ट: पेट्रोलियम नियामक डीजीएच ने जताई कड़ी आपत्ति
तेल खोज व उत्खनन क्षेत्र के विनियामक डीजीएच ने कंपनियों के साथ अनुबंध के मौजूदा नियमों को आगे की परियोजनाओं के लिए भी जारी रखने के विजय केलकर समिति के सुझावों पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है। अनुबंध की मौजूदा व्यवस्था में कंपनियां परियोजना से अपनी पूरी लागत निकालने के बाद ही तेल या गैस में सरकार को हिस्सा देना शुरू करती...
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