-द प्रिंट, गंगा की अविरलता और निर्मलता का मुद्दा, गगनभेदी नारों, दावों और वादों में उलझ कर रह गया है. सच के लगातार निर्माण के बावजूद गंगा साफ नहीं हो पा रही. हम यहां उन कारणों को समझने की कोशिश कर रहे हैं, जो गंगा को बहने नहीं देते. 1- क्योंकि अर्थ में छिपा है अनर्थ– जब आप गंगा के लिए ‘अर्थ गंगा’ शब्द का इस्तेमाल करते हैं तो इसका सीधा मतलब...
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आइएमएफ का मूल्यांकन करने वाले चाहते हैं कि भारत की तर्ज पर पूंजी नियंत्रण दुनियाभर में अपनाया जाये
-द प्रिंट, पिछले तीन महीने में भारत में पूंजी की आवाजाही में भारी वृद्धि देखी गई है. मार्च से लेकर मई 2020 तक कोरोना वायरस के चलते औनेपौने भाव में बिक्री हुई जिनसे भारत से विदेशी पूंजी बाहर गई. जून से यह दिशा उलट गई, जून में कुल पोर्टफोलियो निवेश 3.4 अरब डॉलर के बराबर था, जो अगस्त में बढ़कर 6.7 अरब डॉलर के बराबर हो गया. सितंबर में मामूली पूंजी बाहर...
More »पंजाब सरकार की ओर से लाए तीन नए कृषि विधेयकों में क्या है
-बीबीसी, 20 अक्तूबर को पंजाब विधानसभा के विशेष सत्र में तीन नए कृषि विधेयकों को पारित किया गया. ये कृषि विधेयक हाल ही में केंद्र सरकार की ओर से लाए गए तीन नए कृषि क़ानूनों को निष्प्रभावी करने के लिए लाए गए हैं. इसके साथ ही विधानसभा ने केंद्र सरकार के कृषि संबंधी क़ानून को खारिज कर दिया है. हालांकि उन्हें इसे क़ानून बनाने के लिए राज्य के राज्यपाल के अलावा देश...
More »UN की इस बड़ी अधिकारी ने क्यों कहा, मौत की सज़ा देने से रेप के मामले नहीं रुकते?
-लल्लनटॉप, असल गुंजन सक्सेना ने कहा- कभी पंजा नहीं लड़वाया गया हेमा मालिनी कैसे पहुंचीं बुलंदी के मुकाम पर? रकुलप्रीत की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या आदेश दिया है? इन सबके बारे में जानेंगे ऑडनारी के स्पेशल न्यूज बुलेटिन WIN, यानी विमन इन न्यूज में. जहां हम बात करते हैं महिलाओं की, उनसे जुड़ी खबरों की और ख़बरों में महिलाओं की. बढ़ते हैं पहली खबर की ओर. # चैनल्स के खिलाफ एक्ट्रेस की शिकायत...
More »कैसे पंचवर्षीय योजनाओं ने हिंदुस्तान की आर्थिक बुनियाद को टेढ़ा कर दिया
-सत्याग्रह, अब तक हमने जाना कि कैसे आजादी के बाद 1948 में राज्यों का एकीकरण हुआ - हैदराबाद, जूनागढ़ की ना-नुकर और कश्मीर का एक लड़ाई और कुछ शर्तों के साथ हिंदुस्तान में विलय. 1949 में आरबीआई का राष्ट्रीयकरण हुआ और 1950 में देश अपने नये संविधान के साथ गणतंत्र बना. देखा जाए तो इसके साथ देश का भौगोलिक और संवैधानिक ढांचा बनकर तैयार हो गया था. अब बारी थी आर्थिक...
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