-मीडियाविजिल, महोबा के गांव पराखेरा के अच्छेलाल ने हर साल की तरह इस बार भी अपने खेत में गेहूं और मसूर की फसल बोई थी. इस बार फसल अच्छी होने से उम्मीद थी कि मुनाफा ज्यादा होगा. अब हालात ये हैं कि साल भर की जरूरत का अनाज भी मिल पाएगा, कहना मुश्किल है. वे बताते हैं कि आधे से ज्यादा फसलें बारिश की वजह से खराब हो गईं और बची-खुची...
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कोरोना से बचाव के लिए रसायन से नहलाए गए मजदूर, अधिकारी ने कहा नहला सकते हैं
-डाउन टू अर्थ, दिल्ली-एनसीआर से थके-मांदे उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में पहुंचे थे सोचा था कि अब उनके गांवों का रास्ता आधा ही बचा है। उन्हें क्या पता था कि बरेली में उन्हें सोडियम हाइपोक्लोराइट रसायन से नहला दिया जाएगा। बच्चे दर्द से चीखने लगेंगे। बरेली प्रशासन के इस कृत्य ने अमानवीयता की हदें लांघ ली। सोशल मीडिया पर वायरल हुए इस घटना को लोगों ने अपनी टिप्पणियों में क्रूर...
More »पंजाब: कोरोना से बचें तो भूख है, भूख से बचें तो पुलिस है और पुलिस से बचें तो प्रकृति है
-सत्याग्रह, कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे के मद्देनजर पंजाब में अमरिंदर सिंह सरकार ने कर्फ्यू लगाया हुआ है. लोग-बाग अपने घरों में कैद हैं और जो बाहर निकल रहे हैं, उनकी अपनी-अपनी मजबूरियां हैं. कर्फ्यू के बीच बाहर निकलने वाले जायज लोगों को भी पुलिस की थुक्का-फजीहत बर्दाश्त करनी पड़ रही है. इस महामारी के दौर में भी यह बखूबी साबित हो रहा है कि ‘पुलिस (खासकर भारतीय) ‘पुलिस’ ही है...
More »Coronavirus in India: पीएम मोदी के देशबंदी का ऐलान करते ही दिहाड़ी मजदूरों में मच गया था हड़कंप, 550KM पैदल चलकर आए 6 युवाओं ने बयां की पलायन की कहानी
-जनसत्ता, पीएम मोदी के देशबंदी के ऐलान के बाद से मजदूर वर्ग में घबराहट का माहौल है। यही वजह है कि मजदूर पैदल ही अपने घरों को निकल रहे हैं। शुक्रवार को 6 युवा मजदूर हरियाणा के रेवाड़ी से यूपी की राजधानी लखनऊ पहुंचे। अपने कंधों पर बैग टांगे ये युवा लखनऊ के सुनसान पड़े लोहिया पथ पर पैदल चले जा रहे थे। जब इन मजदूरों से बात की गई तो...
More »कोरोना : लॉकडाउन से दूसरे राज्यों में फंसे मजदूर कैसे भरेंगे अपना पेट ?
-गांव कनेक्शन, झारखंड के डुमरी जिले के मूल निवासी अलीमुद्दीन मुंबई कमाने के लिए गए थे, लॉकडाउन में मुंबई बंद हो गई। अमीमुद्दीन जिस कारखाने में काम करते थे वो कई दिन पहले बंद हो चुका है। वो होटल भी बंद हो चुका है जहां वो खाना खाते थे, और अब उनकी जेब में पैसे भी नहीं बचे हैं। कई मजदूर तो ऐसे हैं जिनके पास पैसे हैं लेकिन बाजार में...
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