नई दिल्ली। मंहगाई में गिरावट आने के बावजूद दैनिक उपभोग की कई वस्तुओं एवं सेवाओं की कीमतें बढऩे से देश का मध्यम वर्ग मुश्किलों का सामना कर रहा है। वाणिज्य एवं उद्योग संगठन एसोचैम ने कहा कि दलहनों, तैयार खाद्य पदार्थ, स्नैक्स आदि की कीमतें बढऩे के साथ ही वस्त्र, घर का किराया, शिक्षा और स्वास्थ्य के महंगा होने से मध्यम वर्ग की मुश्किलें बढ़ गई है। उसने कहा कि खुदरा स्तर पर...
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मुद्रा बैंक :समग्र विकास का अंग--- अविनाश राय
हमारे देश में लाखों करोड़ों ऐसे सामान्य नागरिक हैं जो छोटे-छोटे कारोबार और उद्योग चलाते हैं परन्तु वे अक्सर औपचारिक और संगठनात्मक ऋण व्यवस्था के दायरे से बाहर ही रहते हैं, जबकि समग्र अर्थव्यवस्था में सामूहिक रूप में उनका सहयोग बहुत विशाल हो जाता है। यह मानना है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का। इस संदेश के माध्यम से उन्होंने उन छोटे-छोटे व्यवसाय, दुकान चलाने वालों और यहां तक कि रेहड़ी-पटरी...
More »लचर शिक्षा, अयोग्य बच्चे! कौन है इसका जिम्मेदार?-- रुचिर गर्ग
राज्य के मुख्य सचिव विवेक ढांड ने एक कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ में स्कूली शिक्षा के हाल पर अपनी व्यथा खुल कर जाहिर की। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह भी स्कूली शिक्षा की इस बिगड़ी तस्वीर से नाखुश हैं, चिंतित हैं। सरकार के उच्च स्तर से आई इस व्यथा और चिंता से एक बात तो दिखती है कि कम से कम शिक्षा एक ऐसा मसला है जिस पर इस राज्य में विपक्ष...
More »शिक्षा और स्वास्थ्य के बाद जल संसाधन विभाग में भी आउटसोर्सिंग
विनोद सिंह, जगदलपुर (ब्यूरो)। आदिवासी बहुल बस्तर संभाग में शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग के बाद अब जल संसाधन विभाग ने भी सर्वे के लिए निजी एजेंसी से निविदा बुलाई है। पड़ोसी राज्य आंध्रप्रदेश में निर्माणाधीन पोलावरम परियोजना से सुकमा जिले को होने वाले नुकसान का आंकलन निजी एजेंसी से कराने निविदा बुलाई जा चुकी है। अब तक जल संसाधन विभाग में योजनाओं के निर्माण के लिए सर्वे और प्राक्कलन तैयार करने...
More »सबर आदिवासियों के सब्र की इंतेहा-- ज्यां द्रेज
आदिवासी सबर समुदाय को जब तक कोई नजदीक से न देखे तब तक कभी जान नहीं सकता कि वो कैसे रहते हैं. और वहां तक पहुंचने के लिए भी ऐसे किसी इंसान से मदद लेनी पड़ेगी, जो उनकी रिहाइश के बारे में जानता है. हम किसी तरह झारखंड के पूर्वी सिंहभूम ज़िले में पोटका ब्लॉक के सुदूर इलाक़े की पतली पगडंडियों को पार करते हुए उनके घरों या कहें बिखरी हुई झोपड़ियों...
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