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संविधान की अंतरात्मा और शिक्षा

“अगर संविधान पर ढंग से अमल होता तो सबको समान शिक्षा मिलती और गैर-बराबरी नहीं रहती, लेकिन सरकारों ने इसकी अवहेलना की, ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020’ न केवल भटकाव बल्कि छलावा भी”   घिरे हैं हम सवाल से हमें जवाब चाहिए, जवाब-दर-सवाल है के इंकलाब चाहिए! -शलभ श्री राम सिंह   हम भारत के लोग ने संविधान को 26 नवंबर 1949 को अंगीकार किया था। आज लगभग 70 साल के बाद देश का शासक...

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नरेगा संघर्ष मोर्चा 2020-21 में नरेगा के लिए पर्याप्त बजट की मांग करता है

जैसे कि भारतीय अर्थव्यवस्था दुर्बल हो रही है, सरकार राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (नरेगा) के कामकाज में सुधार के लिए  हाल ही में नोबेल पुरुस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी सहित कई प्रसिद्ध अर्थशास्त्रियों द्वारा दी गई सलाह को नज़रअंदाज़ कर रही है। अर्थव्यवस्था को एक के बाद एक झटके लग रहे हैं। भारत में वर्तमान समय में  पिछले 45 वर्षों में  सर्वाधिक बेरोजगारी की  दर  हैऔर खाद्य मुद्रास्फीति नवंबर 2019 में दो  अंको  पर पहुंच गई है , जो पिछले  71 महीनो  में सर्वाधिक है । सरकार के स्वयं...

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राजनीतिक दलों की बढ़ती वित्तीय आय में अपारदर्शी चुनावी चंदा

साल 2019 बीतते-बीतते प्रमुख राजनीतिक दलों की वित्तीय आय और इलेक्टोरल बॉन्ड यानि चुनाव में चंदे की नई व्यवस्था से जुड़ी कई खबरें और चर्चाएं सुनने को मिलीं. लोकतंत्र की बेहतरी के लिए काम करने वाली कई संस्थाओं ने और पत्रकारों ने आरटीआइ कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर चुनावी चंदा लेने के इलेक्टोरल बॉन्ड जैसे अपारदर्शी तंत्र पर सवालिया निशान खड़े किए. इलेक्टोरल बॉन्ड की बिक्री पर रोक लगाने की मांग...

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कपास की सरकारी खरीद 261 फीसदी बढ़ी लेकिन भाव फिर भी समर्थन मूल्य से नीचे

चालू सीजन में कपास की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सरकारी खरीद तो 261.30 फीसदी बढ़कर 38.66 लाख गांठ की हो चुकी है लेकिन उत्पादक मंडियों में कपास के दाम 5,200 से 5,400 रुपये प्रति क्विंटल ही हैं जबकि केंद्र सरकार ने खरीफ विपणन सीजन 2019-20 के लिए लॉन्ग स्टेपल कपास का समर्थन मूल्य 5,550 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है। कॉटन कार्पोरेशन आफ इंडिया (सीसीआई) के एक वरिष्ठ अधिकारी...

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अरहर किसानों को नहीं मिल रहा समर्थन मूल्य, दालों का आयात 47 फीसदी बढ़ा

आयात सस्ता होने के कारण किसानों को मंडियों में अरहर न्यूनतम समर्थन मूल्य  (एमएसपी) से 6,00 से 750 रुपये प्रति क्विंटल नीचे दाम पर बेचनी पड़ रही है जबकि चालू वित्त वर्ष 2019-20 के पहले आठ महीनों अप्रैल से नवंबर के दौरान दालों का आयात 47.12 फीसदी बढ़कर 22.51 लाख टन हो गया है। दलहन कारोबारी एस चंद्रशेखर नादर ने बताया कि सोमवार को गुलबर्गा मंडी में अरहर 5,050 से 5,200...

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