कल तक जो ग्रामीण व किसान नंदकिशोर का साथ व सहयोग देने से कतराते थे, आज उन्हीं ग्रामीणों के लिए वह व्यक्ति प्रेरणा स्नेत बन गया है. हां हम बात कर रहे हैं डुमरी प्रखंड के पोरैया गांव के नंदकिशोर प्रसाद महतो की. किस्मत को मेहनत से बदल देने की कहावत को चरितार्थ करते हुए पोरैया गांव के नंदकिशोर प्रसाद महतो ने भागीरथी प्रयास करते हुए बांध निर्माण कर गांव की दो सौ एकड़...
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कभी स्वर्ग, आज वीरान!- हरिवंश
वेतन लाखों में हो गये. लेकिन वेतन बढ़ने से वास्तविक उत्पादन या आय पर क्या असर हुआ, इसे जांचने का कोई विश्वसनीय मेकेनिज्म नहीं है. अमेरिका के डेट्रायट शहर में यही हुआ. पेंशन का बोझ बढ़ता गया. रिटायर लोगों की पेंशन, नये नियुक्त लोगों की तनख्वाह से कई गुना अधिक. ऊपर से शहर की सरकार ने बाहर से कर्ज लेना जारी रखा. कर्ज अगर भोग-विलास के लिए लिया जाये, तो दुर्दशा...
More »सियासत और नर्मदा की आफत- शिरीष खरे
कुछ बुनियादी सवालों की उपेक्षा करके राजनीतिक फायदे के लिए प्रचारित की जा रही नर्मदा-क्षिप्रा जोड़ने की परियोजना काफी भयावह नतीजे दे सकती है. शिरीष खरे की रिपोर्ट. 29 नवंबर, 2012 का दिन और स्थान था इंदौर जिले का उज्जैनी गांव. मध्य प्रदेश में यह आगामी नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव से ठीक एक साल पहले का समय था. तब इस गांव में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भाजपा के वरिष्ठ...
More »जो अन्न उपजाता है वही भूखा रह जाता है : देविंदर शर्मा
खाद्य सुरक्षा विधेयक का विरोध दो कारणों से हो रहा है. एक राजनीतिक और दूसरा कॉरपोरेट घरानों या उनके समर्थक अर्थशास्त्रियों की ओर से. उनका कहना है कि खाद्यान्न सुरक्षा पर हर साल एक लाख 25 हज़ार करोड़ रुपये खर्च होगा. इससे घाटा बढ़ेगा इसलिए इसकी कोई ज़रूरत नहीं है. खाद्यान्न सुरक्षा पर हर साल एक लाख 25 हज़ार करोड़ रु पए ख़र्च होने पर एतराज़ जताया जा रहा है....
More »खाद्य सुरक्षा से दूर होगी कुपोषण की समस्या
डॉ राजवीर शर्मा आइएआरआइ पूसा इंस्टीटयूट में बतौर प्रिंसिपल साइंटिस्ट(एग्रोनॉमी-ब्रीड कंट्रोल) कार्यरत हैं. पेश है खाद्य सुरक्षा और किसानों की समस्या पर पंचायतनामा के लिए संतोष कुमार सिंह से विशेष बातचीत : सरकार का दावा है कि खाद्य सुरक्षा कानून गरीबों के लिए है, इस लिहाज से मात्र 67 फीसदी लोगों को इसके दायरे में रखा गया है? इसका क्या मतलब हुआ क्या यह माना जाये कि देश में 67 फीसदी गरीब...
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