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शर्मिला चानू की भूख हडताल को एक दशक पूरा हुआ

मणिपुर। मानवाधिकार कार्यकर्ता इरोम शर्मिला चानू की भूख हडताल को आज दस साल पूरे हो गए। वे मणिपुर से विवादित आम्र्ड फोर्सज स्पेशल पावर्स एक्ट (एएफएसपीए) 1958 हटाने की मांग को लेकर भूख हडताल पर है। देश के कुछ ही इलाकों में यह कानून लागू है जिनमें मणिपुर भी है। शर्मिला इस कानून के विरोध में 2000 से अनशन पर है। प्रशासन और सरकार ने उनकी भूख हडताल को तुडवाने के...

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सर्वांगीण विकास को ध्यान में रखकर बने नई खनन नीति- राजेन्द्र अभ्यंकर

वेदांत, पोस्को और सिंधुदुर्ग। इन तीनों मामलों में मुद्दा एक ही है-खनन और संसाधन आधारित उद्योग के लिए एक सुविचारित नीति की आवश्यकता। पिछले दिनों सरकार ने उड़ीसा के पिछड़े कालाहांडी जिले में नियमगिरि पहाडिय़ों पर वेदांत को दी गई खनन की अनुमति वापस लेने का फैसला किया। उधर, उड़ीसा में पोस्को लौह अयस्क परियोजना पर गुप्ता समिति ने एक तरह से विभाजित फैसला दिया। इसके अलावा पश्चिमी घाट क्षेत्र...

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बफर जोन बनाएं, कॉरिडोर बचाएं

बाघ बचाने के तमाम उपायों और कार्ययोजनाओं में से एक महत्वपूर्ण उपाय है राष्ट्रीय उद्यानों, अभयारण्यों एवं संरक्षित वनों के बाहर के क्षेत्र का संरक्षण। दुर्भाग्य से देश भर में यह नहीं हो रहा है। यहां सीधे-सीधे बाघ के वजूद और आदमी के स्वार्थों का टकराव है। राजनेता, खनन माफिया और अन्य स्वार्थी-लोभी तत्व ऐसे उपायों का विरोध करते हैं। बाघ की सुरक्षा के लिए बफर क्षेत्र उपयोगी है इसलिए टाइगर रिजर्व...

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भूखे रहे लोग तो स्थिति विस्फोटक

विश्व खाद्य दिवस पर विशेष भूख से लड़ने में दुनिया भर में हो रहे प्रयासों के बीच भारत की एक तस्वीर यह भी है कि गोदामों में सड़ते अनाज के बावजूद करोड़ों लोग भूखे हैं। उभरती अर्थव्यवस्था के अलावा देश की इस तस्वीर का कारण जो भी हो, विशेषज्ञों का मानना है कि इसका परिणाम देश की छवि धूमिल होने के तौर पर ही सामने आएगा। कृषि प्रधान देश भारत में लोग भूख के कारण...

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भुखमरी का अर्थशास्त्र- देविन्दर शर्मा

कुछ चौंकाने वाली छवियां मेरे मन में अब भी अंकित हैं। कोई 25 साल पहले मैं एक प्रमुख दैनिक में छपी खबर पढ़ रहा था, जिसमें लिखा था कि भारत में हर दिन करीब पांच हजार बच्चे मर जाते हैं। पिछले सप्ताह एक अखबार में छपी खबर ने फिर मेरा ध्यान खींचा। इसमें लिखा था कि भारत में 18.3 लाख बच्चे अपना पांचवां जन्मदिवस मनाने से पहले ही मर जाते हैं।...

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