अम्बाला। तब उसकी उम्र करीब छह साल थी। मां का साया सिर से उठ चुका था। पिता की आर्थिक हालत ठीक नहीं थी। उस समय उसे जरूरत थी कि कोई मदद के लिए आगे आए, सहारा बने, ताकि बच्ची का भविष्य बन जाए। ऐसे में पिता का एक जानकार आगे आया, लेकिन बच्ची का भविष्य...
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जुर्म की जड़ें- प्रियंका दुबे
एक महीने में बलात्कार की 15 घटनाएं. आखिर क्या वजह है कि हरियाणा में महिलाएं इस कदर असुरक्षित हो गई हैं? प्रियंका दुबे की रिपोर्ट. देश की राजधानी दिल्ली से लगभग 90 किलोमीटर दूर हरियाणा के सोनीपत जिले का गोहाना कस्बा. पुलिस उपअधीक्षक के दफ्तर के बाहर बने बड़े-से बरामदे में लगभग 15 आदमी दो महिलाओं को घेरे खड़े हैं. सभी आपस में ठेठ हरियाणवी में बात कर रहे हैं और महिलाओं...
More »ऐसे हो सकता है देश की जीडीपी में 27 फीसद का इजाफा !
दुनिया में 86 करोड़ 50 लाख महिलाएं अर्थव्यवस्था में योगदान के बावजूद बिना कमाई के जीवन गुजारने को बाध्य हैं। इस तादाद का 94 फीसद विकासशील देशों में है जबकि 6 फीसद विकसित देशों में। साल 2020 तक अर्थव्यवस्था से बाहर जीवन बिताने वाली महिलाओं की तादाद तकरीबन 1 अरब यानी भारत या फिर चीन की कुल आबादी के बराबर हो जाएगी। क्या अर्थव्यवस्था से बाहर जीवन बिताने को बाध्य महिलाओं की यह तादाद आर्थिक...
More »आंदोलनों से सीखा जिंदगी का ककहरा- गुंजेश की रिपोर्ट
1951 के आसपास जब जयपाल सिंह और उनकी झारखंड पार्टी आदिवासियों के लिए भारतीय संघ के भीतर स्वायत्तता का रास्ता ढूंढ़ रहे थे, उसी वक्त पूर्वोत्तर भारत में नगाओं का अतिवादी समूह अलग राष्ट्र के सपने देख रहा था. ऐसे समय में हजारों मील दूर पंजाब की फरीदकोट छावनी में एक फौजी परिवार के यहां एक लड़की ने जन्म लिया. 1964-68 में यह लड़की परिवार के साथ शिलांग पहुंचती है. जहां फौजी...
More »फिर अहम होता व्यवस्था परिवर्तन का मुद्दा- प्रो आनंद कुमार
आज देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ और व्यवस्था परिवर्तन की बात फिर चल रही है. लेकिन, जब कभी इस तरह के आंदोलनों की बात छिड़ती है, तो बरबस लोकनायक जयप्रकाश नारायण का चेहरा व चिंतन हमारे जेहन में आता है. अमूमन जेपी की शख्सीयत को सत्तर के दशक में उनके द्वारा दिये गये संपूर्ण क्रांति के नारे में ही समेटने की कोशिश होती है. सच यह है कि जेपी ने इस देश...
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