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पूर्वोत्तर क्षेत्र से अगले पांच साल में 50 लाख लोग कर सकते हैं पलायन: रिपोर्ट

कोलकाता, 26 दिसंबर (एजेंसी) पूर्वोत्तर राज्यों से लोगों का पलायन चरम पर है और अगले पांच साल में क्षेत्र से लगभग 50 लाख लोग शिक्षा एवं रोजगार के लिये देश के अन्य हिस्सों में गमन कर सकते हैं। राष्ट्रीय राजधानी स्थित शोध संस्थान ह्यनार्थ ईस्ट सपोर्ट सेंटर एंड हेल्पलाइनह्ण ने कहा है, ह्यह्यपूर्वोत्तर क्षेत्र से पलायन चरम पर है...और अगले पांच साल में 50 लाख लोगों के देश के दूसरे हिस्सों...

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कृषि उत्पादन नहीं, मूल्य बढ़ायें- भरत झुनझुनवाला

अर्थव्यवस्था में तीव्र विकास के बावजूद कृषि और किसानों की स्थिति में सुधार नहीं हो रहा है. पिछले साठ वर्षो में प्रत्येक सरकार ने कृषि में सुधार का संकल्प लिया है, किंतु स्थिति बिगड़ती गयी है, जैसा कि आत्महत्या की बढ़ती संख्या से अनुमान लगता है. मूल कारण यह है कि सरकार का ध्यान कृषि उत्पादन में वृद्धि की ओर ज्यादा रहा है, मूल्यों में वृद्धि की ओर कम. मान्यता है कि...

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मप्र में 'खजाना' ढूंढ़ेगी 78 कंपनियां, सरकार ने दी हरी झंड़ी

भोपाल. मप्र में खनिज संपदा की संभावनाएं तलाशने के लिए 78 कंपनियों को प्रोस्पेक्टिंग लाइसेंस (खनिज भंडारण की तलाश) जारी किए गए हैं। इन कंपनियों के कारखाने लगने से प्रदेश में 1 लाख 33 हजार करोड़ रुपए से अधिक का निवेश होगा और तीन लाख लोगों के लिए रोजगार के अवसर खुल सकेंगे। प्रदेश में निवेश को लिए चार सालों में इंदौर, जबलपुर, सागर, ग्वालियर, भोपाल और खजुराहो में...

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खुदरा खैर करे- सुधीरेंद्र शर्मा(तहलका,हिन्दी)

  रिटेल क्षेत्र में एफडीआई के फैसले को सरकार ने ठंडे बस्ते में डाल दिया है. मगर क्या यह हमारे हर मर्ज की दवा है जैसा कि सरकार हमें समझाती रही है? सुधीरेंद्र शर्मा का आकलन  जाकी रही भावना जैसी एफडीआई देखी तिन तैसी खुदरा कारोबार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) पर छिड़ी राजनीतिक रस्साकशी ने तुलसीदास की इन पंक्तियों को पुनः सार्थक किया है. एकल ब्रांड कारोबार में 51 और मल्टी-ब्रांड कारोबार में 100...

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‘आप गलतफहमी के शिकार हैं. हमने भूमि सुधारों को बैकबर्नर पर नहीं डाला है’

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से बात करना आसान नहीं. उन्हें केंद्र और राज्य दोनों तरह की सरकारों में काम करने का खासा अनुभव है. वे हिंदीभाषी प्रदेशों के उन गिने-चुने नेताओं में  से हैं जो बढ़िया वक्ता हैं. काफी पढ़े-लिखे हैं और राजनीति के उथल-पुथल वाले 70 और 80 के दशक में उन्होंने आजादी के बाद के, कांग्रेस से अलग धारा में काम करने वाले कई प्रमुख नेताओं के...

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