हमारे देश में कई जगहों पर आज भी बेटियों को उपेक्षित जिंदगी जीनी पड़ती है. कहीं उन्हें जन्म लेने से पहले गर्भ में ही मार डाला जाता है, तो कहीं जन्म लेते ही भगवान भरोसे लावारिस छोड़ दिया जाता है. लेकिन तमिलनाडु सरकार की एक योजना के तहत उपेक्षित कन्या शिशुओं को एक बेहतर जिंदगी मयस्सर करायी जा रही है. राजीव चौबे तमिल नाडु के नामक्कल जिले में स्थित अन्नाई मथाम्मल शीला...
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विचारधारा के भंवर में - एम के वेणु
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली आर्थिक सुधार के अर्थों को पुनर्परिभाषित करने की कोशिश कर रहे हैं। सीआईआई और वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की सालाना बैठक में भारतीय और वैश्विक कंपनियों के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए अरुण जेटली ने सलाह दी कि भारत जटिल सामाजिक-आर्थिक संरचना वाला एक विकासशील समाज है, इसलिए उद्यमी समुदाय को 'बिग-बैंग' सुधारों और कुछ सनसनीखेज विचारों के क्रियान्वयन की उम्मीद नहीं करनी...
More »बागवानी के अच्छे दिन!
यह सच है कि फल-सब्जियों की कीमतें बढ़ी हैं और यह भी सच है कि बीते बीस सालों(1991-91 से 2012-13) में देश में फल-फूल, सब्जी और मसालों की खेती का रकबा दोगुना बढ़ा है। नतीजतन, वानिकी-उत्पादन में तकरीबन तीन गुना(2.8 प्रतिशत) की बढ़ोत्तरी हुई है। कृषि मंत्रालय की एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि बीते बीस सालों में वानिकी का रकबा 1 करोड़ 20 लाख 77 हजार हैक्टेयर से...
More »आलू की कालाबाजारी रोकने के लिए छापामार कार्रवाई की तैयारी
रायपुर(व्याप्र)। आलू इन दिनों पूरी तरह से मुनाफाखोरों के हाथों में चला गया है। आलू की कालाबाजारी रोकने के लिए अब जिला प्रशासन छापा मार कार्रवाई करने की तैयारी में है। कारोबारी सूत्रों का कहना है कि मुनाफाखोरों द्वारा मिलकर आलू के भाव तय किए जा रहे हैं तथा इनकी सप्लाई भी उनके कहने के अनुसार ही होती है। इनके अलावा बहुत से कारोबारियों के पास अभी भी माल न आने...
More »पंजाब में आतंकवाद ने 13 साल में ली 26,000 जानें, सड़क हादसे ने 39,652
चंडीगढ़. एक जमाने का समृद्ध पंजाब 13 साल तक आतंक के अंगारों पर सुलगता रहा, आज सड़कों पर तड़पता हुआ दम तोड़ रहा है। 1982 से 1995 तक चले आतंकवाद के दौर में 26,000 जिंदगियां तबाह हुई थीं, अब इससे भी ज्यादा मौतें सड़क हादसों में हो रही हैं। पिछले 13 साल में 39,652 लोग हादसों में जान गंवा चुके हैं। यानी हर साल 13 हजार से ज्यादा लोग। ये...
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