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मुद्रास्फीति अभी स्वीकार्य स्तर पर नहीं, और गिरावट होनी चाहिए: प्रणव

नई दिल्ली, 14 फरवरी (एजेंसी) मुद्रास्फीति के जनवरी में 25 महीने के निम्नतम स्तर 6.55 फीसद पर पहुंचने के बीच वित्त मंत्री प्रणव मुखर्र्र्जी ने कहा कि महंगाई दर अभी स्वीकार्य स्तर पर नहीं पहुंची है। उन्होंने उम्मीद जताई कि इसमें और कमी होगी। मुखर्जी ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘मुझे लगता है कि इसमें :मुद्रास्फीति में: और कमी होनी चाहिए क्योंकि यह अभी भी स्वीकार्य स्तर पर नहीं पहुंची...

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सदिच्छा का सत्यानाश- इर्शादुल हक

सैकड़ों करोड़ रु की जिस रकम से बिहार के स्कूलों की तस्वीर बदल सकती थी उसका ज्यादातर हिस्सा भ्रष्टाचारियों की जेब में चला गया. इर्शादुल हक की पड़ताल सत्ता के शीर्ष से चले अच्छे इरादों का जमीन तक पहुंचते-पहुंचते किस तरह बंटाधार हो जाता है, इसका उदाहरण है यह घोटाला. इससे यह भी साफ होता है कि योजनाएं कितनी भी अच्छी बन जाएं, जब तक उन्हें अमली जामा पहनाने वाले तंत्र...

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खाद्य सुरक्षा बिल से ज्यादा नहीं बढ़ेगा सब्सिडी बोझ

नई दिल्ली, एजेंसी : केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी भले ही खाद्य सुरक्षा विधेयक के अमल से सब्सिडी का बोझ बढ़ने को लेकर परेशान हो, लेकिन सार्वजनिक वितरण एवं उपभोक्ता मामलों के राज्य मंत्री केवी थॉमस ने रविवार को कहा कि प्रस्तावित राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक (एनएफएसबी) से सरकार पर ज्यादा वित्तीय बोझ नहीं पड़ेगा। उल्लेखनीय है कि केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी पिछले दिनों बढ़ती सब्सिडी को लेकर चिंता जता...

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पूंजी के प्रतीकों पर प्रश्नचिह्न् : केविन रैफर्टी

जरूरत है.. जरूरत है.. जरूरत है.. 60 करोड़ नए जॉब्स की जरूरत है। इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन (आईएलओ) की जनवरी 2012 की रिपोर्ट की यह हैडलाइन पूरी दुनिया के लिए एक चेतावनी की तरह है। रिपोर्ट कहती है कि अगले एक दशक में 60 करोड़ नए उत्पादक जॉब सृजित करने की आसन्न चुनौती का सामना करने के लिए दुनिया को अब कमर कस लेनी चाहिए। प्रेस और बीबीसी ने इस...

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कौन ठगवा नगरिया लूटल हो : गोपालकृष्ण गांधी

‘लूट’ शब्द जो है, ठेठ हिंदी का है। उर्दू में भी उसकी अपनी जगह है। यानी उसका घर हिंदुस्तानी में है, बोलचाल की मिली-जुली जुबान में। और अफसोस, अब उसका घर हमारी हर जुबान में है, हर दिमाग में, हमारी निराशा में, हमारे गुस्से में, हमारे आक्रोश में। आजकल हम लूट, लुट जाने और लुटेरों के बारे में इतना पढ़ते, देखते और सुनते हैं कि लगता है ‘लूट’ शब्द हमारे लिए और हमारे...

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