SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 1863

गांव के वोट से तय होती है हार या जीत

झारखंड की 14 लोकसभा सीटों में से तीन लोकसभा सीटें ही ऐसी हैं, जिन्हें शहरी या अर्धशहरी प्रकृति की लोकसभा सीटें कह सकते हैं. ये हैं : धनबाद, रांची, जमशेदपुर. धनबाद लोकसभा क्षेत्र के अंदर शहरी व अर्ध शहरी बसावटें हैं. जमशेदपुर लोकसभा क्षेत्र के विस्तार क्षेत्र में फैले विभिन्न प्रकार के उद्योगों के कारण भी वहां काफी शहरीकरण हुआ है. उसी तरह रांची लोकसभा क्षेत्र में राज्य की राजधानी होने...

More »

उपज का घटता भाव- संजीव झा

एक तरफ खाद-उर्वरक के बढ़ते उपयोग के चलते कृषि पैदावार में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई, तो दूसरी तरफ तेजी से बढ़ रहे शहरीकरण ने कृषि योग्य भूमि के विस्तार को सीमित कर दिया। पिछली सदी के दौरान खाद्यान्न की मांग में खासी तेजी के बावजूद खाद्यान्न की कीमत में वास्तविक अर्थों में हर वर्ष 0.7 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई। खेती की उपज को लेकर देश के साथ-साथ दुनियाभर के आंकड़ों...

More »

नरम दिल सहिया व कड़क मुखिया हैं पानो- वीरेन्द्र कुमार सिंह

सिंहभूम पूर्वी जिले के पोटका प्रखंड अंतर्गत पोटका पंचायत की मुखिया पानो सरदार को संपूर्ण प्रखंड क्षेत्र के लोग जानते हैं. पानो सरदार को लोग इसलिए नहीं जानते कि वह एक मुखिया हैं. बल्कि मुखिया से ज्यादा लोग उन्हें सहिया के रूप में जानते हैं. हालांकि पानो सरदार सरमंदा ग्राम पंचायत की सहिया हैं. परंतु प्रखंड की किसी भी पंचायत की सहिया व उनके क्षेत्रों के मरीजों की कोई समस्या हो तो...

More »

उतने बीमार भी नहीं हैं बीमारू राज्य- सुभाष गाताडे

कई बार कुछ सर्वेक्षण ऐसे नतीजे को सामने लाते हैं, जो हमारे सहज बोध से विपरीत जान पड़ते हैं। भारत के मानव विकास सूचकांक के ताजे आंकड़े इसी की मिसाल हैं। योजना आयोग के अंतर्गत कार्यरत इंस्टीट्यूट ऑफ एप्लाइड मैनपावर रिसर्च (आईएएमआर) के हालिया आंकड़े के मुताबिक, ऐसे गरीब कहलाने वाले राज्यों में मानव विकास सूचकांक अब तेजी से राष्ट्रीय औसत के करीब पहुंच रहा है, जहां हाशिये पर पड़े...

More »

यह खुशहाली का रास्ता नहीं है- सीताराम येचुरी

भारतीय उद्योग जगत के एक हिस्से ने तो जोश के सारे रिकॉर्ड ही तोड़ दिए हैं। उद्योग जगत का यह जोश दहशत पैदा करने वाले तरीके से याद दिलाता है कि किस तरह पूंजीपति वर्ग के एक हिस्से ने 1930 के दशक में जर्मनी में हिटलर के उभार में मदद की थी। आज जब साल 2008 की आर्थिक मंदी के बाद से विश्व पूंजीवाद का संकट लगातार बना हुआ है,...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close