किसानों अब अपनी मांग को पूरा करने के लिए एक अलग तरीका अपनाया है। जिससे ना सिर्फ सरकार पर बल्कि आम जनता पर भी इसका बुरा असर देखने को मिल सकता है। चंडीगढ़ में किसानों ने इकट्ठा होकर 1 से 10 जून कर अपने गांव को सील करने का ऐलान किया है। इस दौरान गांव से बाहर एक भी सामान सप्लाई नहीं किया जाएगा। इतना ही नहीं किसानों ने सब्जियां,...
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अस्मिता की राजनीति से परे-- मणींद्र नाथ ठाकुर
भारतीय जनतंत्र में अस्मिता की राजनीति का प्रभाव काफी समय से रहा है. पिछले कुछ वर्षों में ऐसा लगने लगा था कि शायद इसका युग अब समाप्त हो जायेगा. लेकिन अब इसके विकृत रूप के उभार की संभावनाएं बढ़ती दिख रही हैं. बिहार-बंगाल में दंगे, राजपूती शान के नाम पर पद्मावत फिल्म के खिलाफ राष्ट्रव्यापी आंदोलन, आरक्षण के लिए विभिन्न जातियों का आंदोलन, दलितों का राष्ट्रव्यापी बंद और राष्ट्रवाद व धर्म...
More »क्या कहती है दौलतपुर की कहानी-- आलोक रंजन
केंद्र सरकार ने साल 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने का एक चुनौतीपूर्ण अभियान शुरू किया है। तमाम तरह की रणनीति बनाने के प्रस्ताव दिए जा रहे हैं, पर हमें एक ऐसा माहौल बनाना चाहिए, जिसमें किसानों में प्रगतिशील सोच विकसित हो और वे अपनी फसलों पर ऊंचा मुनाफा पा सकें। यहां मैं ऐसे ही एक किसान की कहानी आपसे साझा कर रहा हूं, जिसे बदलाव का वाहक...
More »लोकतंत्र में महिलाएं और मजलूम-- शशिशेखर
अंधी राजनीति ने किस तरह भारत के जागृत समाज को राजनीति से अलग कर दिया है, इसका जीता-जागता उदाहरण उत्तर-पूर्व के तीन राज्यों में हुए चुनाव हैं। मैं यहां किसी पार्टी अथवा नेता की हार-जीत की बजाय उस प्रवृत्ति का विश्लेषण करना चाहूंगा, जिसने ‘गनतंत्र' को पोसा और ‘गणतंत्र' को लगातार नुकसान पहुंचाया। नगालैंड से बात शुरू करता हूं। देश का यह बेहद संवेदनशील प्रांत गरीबी और पिछड़ेपन से जूझता...
More »ज्ञान बांटने वालों के साथ ऐसी बेदिली-- बृंदा करात
हेमलता ने इसी जनवरी में अपने पति खेमचंद को दुखद परिस्थितियों में खो दिया। वह चांदनी चौक के एक प्राइमरी स्कूल में शिक्षक थे। उत्तरी दिल्ली नगर निगम के अधीन आने वाले इस स्कूल में वह 1997 से पढ़ा रहे थे। जो आखिरी सैलरी उनके हाथों में आई थी, वह 58,000 रुपये थी। खेमचंद पर अपनी विधवा मां, पत्नी हेमलता, पांच बच्चे और एक बहन का भार था। वह मूल...
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