-आउटलुक, “हिंदुत्ववादी शक्तियां इतिहास को विचारधारा के अनुसार बदलने के लिए राजसत्ता का इस्तेमाल करती हैं” पिछली शताब्दी के शुरुआती वर्षों से ही हिंदू सांप्रदायिक शक्तियां भारत के अतीत को अपने चश्मे से देखकर इतिहास को अपनी विचारधारा के अनुसार बदलने की कोशिश करती रही हैं। पुरुषोत्तम नागेश ओक ने पांच दशकों से भी अधिक समय तक इस अभियान का नेतृत्व किया और कई पुस्तकें लिखीं। 1964 में ‘भारतीय इतिहास पुनर्लेखन संस्थान’...
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आधिकारिक डेटा 2020 राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान शहरी क्षेत्रों में आजीविका संकट के गहराने की पुष्टि करता है!
हाल ही में जारी किया गया त्रैमासिक आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) डेटा मोटे तौर पर देशव्यापी लॉकडाउन अवधि के दौरान रोजगार और नौकरियों में गिरावट की पुष्टि करता है, हालांकि विभिन्न सर्वेक्षण-आधारित अध्ययन और शोध पत्र इस बात की ओर इशारा करते हैं कि पिछले साल लॉकडाउन के बाद के महीनों में कुछ हद तक सुधार हुआ है. पीएलएफएस पर त्रैमासिक बुलेटिन केवल वर्तमान साप्ताहिक स्थिति (सीडब्ल्यूएस) संदर्भ में...
More »पंचतत्व: इस धरती पर मनुष्य के अलावा दूसरे प्राणी भी हैं, उनकी आज़ादी के बारे में कब सोचेंगे हम?
-जनपथ, अप्रैल 2021 में सुप्रीम कोर्ट में तब के मुख्य न्यायाधीश एस.ए. बोबडे, न्यायमूर्ति ए.एस. बोपन्ना और वी. रामासुब्रमण्यम की पीठ ने मशहूर पर्यावरणविद एम. के. रणजीतसिंह द्वारा दो साल पहले दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए एक टिप्पणी की थी, कि पर्यावरण के मामले में न्याय तभी मिल पाएगा जब हम मानव-केंद्रित ‘एंथ्रोपोसेंट्रिज्म’ के सिद्धांत से हटकर प्रकृति-केंद्रित ‘ईकोसेंट्रिज्म’ की तरफ जाएं, जिसमें इंसान प्रकृति का हिस्सा है और...
More »देश के 15 जिलों की जमीनी पड़ताल-7: दूसरी लहर में क्या था उत्तर प्रदेश, राजस्थान व छत्तीसगढ़ का हाल
-डाउन टू अर्थ, डाउन टू अर्थ ने कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान देश के सबसे अधिक प्रभावित 15 जिलों की जमीनी पड़ताल की और लंबी रिपोर्ट तैयार की। इस रिपोर्ट को अलग-अलग कड़ियों में प्रकाशित किया जा रहा है। पहली कड़ी में आपने पढ़ा कि कैसे 15 जिले के गांव दूसरी लहर की चपेट में आए। दूसरी लहर में आपने पढ़ा अरुणाचल प्रदेश के सबसे प्रभावित जिले का हाल। तीसरी...
More »COVID-19 की पहली लहर के दौरान ग्रामीण बिहार में अधिकांश परिवारों को आजीविका संकट का सामना करना पड़ा!
मोनाश विश्वविद्यालय, ऑस्ट्रेलिया में सेंटर फॉर डेवलपमेंट इकोनॉमिक्स एंड सस्टेनेबिलिटी के अर्थशास्त्रियों और नई दिल्ली स्थित मानव विकास संस्थान द्वारा संयुक्त रूप से किए गए एक सर्वेक्षण आधारित शोध के अनुसार, महामारी की पहली लहर ने पिछले साल बिहार में ग्रामीण श्रमिकों (स्व-रोजगार सहित) की आजीविका पर विनाशकारी प्रभाव डाला था. अध्ययन के लेखकों द्वारा जारी एक हालिया प्रेसनोट से पता चलता है कि पिछले साल ग्रामीण बिहार में आजीविका...
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