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आजाद मीडिया के पक्ष में तर्क-- मृणाल पांडे

देश के हर चौराहे, चायखाने, पान की दुकान और शिक्षा परिसर में आजकल भारतीय लोकतंत्र के भविष्य पर चिंता जतायी जा रही है, नाना अटकलें लगायी जा रही हैं. और इन अटकलों का स्रोत मीडिया है, पारंपरिक या सोशल मीडिया. आजादी के सत्तर वर्षों बाद देश जनता को जागृत करनेवाली ताकत के रूप में मीडिया को पहचान रहा है, जिसके विमोचन के लिए गांधी जी ने ‘नवजीवन' नामक साप्ताहिक...

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मोदी का आरक्षण दांव और विपक्ष -- शशिशेखर

गरीब सवर्णों को आरक्षण से कितनों का भला होगा, इस सवाल पर सार्थक बहस की जगह हर ओर शोर बरपा है कि इससे दिल्ली दरबार पर काबिज भाजपा का कितना फायदा होगा? क्या इस दांव से सरकार ने विपक्ष के हमलों की धार कुंद कर दी है? चुनावी साल में ऐसे सवाल उठने लाजिमी हैं। इस चर्चा की एक और बड़ी वजह यह है कि मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के...

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क्या कहती है सबरीमाला की राजनीति- एस, श्रीनिवासन

आखिरकार नए साल में 10 से 50 साल की उम्र की महिलाओं ने सबरीमाला में प्रवेश करके अपने भगवान अयप्पा की पूजा-अर्चना करने में कामयाबी हासिल कर ली। उन्हें यह सफलता सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तीन महीने बाद मिल पाई है। ऐसा लगता है कि केरल की वाम मोर्चा सरकार औरतों को इस मंदिर में प्रवेश दिलाने के लिए माकूल वक्त का इंतजार कर रही थी। जिन दो महिलाओं...

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समाज सुधार से टकराती राजनीति-- नीरजा चौधरी

नए साल की इससे अच्छी शुरुआत नहीं हो सकती थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद बीते तीन महीनों में 10 से 50 वर्ष की महिलाएं केरल के सबरीमाला मंदिर में प्रवेश नहीं कर पाई थीं। जिन महिलाओं ने मंदिर में घुसने की कोशिशें कीं, उन्हें जबरन रोक दिया गया था। मगर बुधवार को अहले सुबह इस उम्र की दो महिला श्रद्धालु भगवान अयप्पा की पूजा करने में सफल रहीं...

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आश्रय गृहों का हाल खराब

पिछले दिनों राष्ट्रीय महिला आयोग की तीन सदस्यीय जांच टीम ने चार राज्यों के 26 महिला आश्रय गृहों का दौरा किया, जिनमें से 25 में अनियमितता पायी गयी. ये चार राज्य थे- उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक और ओड़िशा. ज्ञात हो कि इन आश्रय गृहों में वे महिलाएं होती हैं, जो यौन हिंसा के शिकार हों या छोड़ दी गयीं या अन्य प्रकार की पीड़िता. महिलाओं की बदतर स्थिति तथा...

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