सूचना का अधिकार कानून भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई व अपने अधिकारों को पाने का माध्यम बन गया है. झारखंड के गांवों में बड़ी संख्या में लोग आरटीआइ का प्रयोग कर रहे हैं. आरटीआइ के जरिये भ्रष्टाचार का खुलासा करने या अपने अधिकारों को पाने वाले लोगों से प्रेरित होकर दूसरे लोग भी आरटीआइ का उपयोग कर रहे हैं. इस बार की आमुख कथा में पंचायतनामा ने आरटीआइ के ऐसे ही किस्सों...
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गांव के लोगों की ही देन है आरटीआइ आंदोलन
आरटीआइ कार्यकर्ता सुभाष अग्रवाल किसी परिचय के मोहताज नहीं है. वे आरटीआइ कानून के अमल में आने के बाद से ही लगातार इस हथियार के जरिये आम जनता के हित में लड़ाई लड़ते रहे हैं. चाहे मामला न्यायपालिका में फैले का भ्रष्टाचार का हो या फिर राजनीतिक दलों को आरटीआइ के दायरे में लाने का उन्होंने यह मुहिम निरंतर जारी रखी है. इतना ही नहीं वे नौजवान पीढ़ी की ओर आरटीआइ...
More »अब रात्रिकालिन में भी मिलेगा स्कूलों में भोजन
मुंबई: महराष्ट्र के रात्रिकालीन स्कूलों (नाइट स्कूल) में भी कक्षा एक से लेकर आठवीं तक के छात्रों को मध्याह्न भोजन योजना का लाभ दिया जाएगा. केंद्र सरकार ने इस योजना को इन स्कूलों में लागू करने के राज्य सरकार की योजना को मंजूरी प्रदान कर दी है. यहां पर मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित इस योजना का लाभ सरकारी और सहायता प्राप्त रात्रिकालीन...
More »दवा पीने से 12 विद्यार्थी बीमार
जौनपुर: उत्तर प्रदेश में जौनपुर जिले के जफराबाद क्षेत्र स्थित एक स्कूल में आज पेट के कीड़े मारने के लिये आशीर्वाद स्वास्थ्य गारंटी योजना के तहत पिलाई गयी दवा के सेवन से 12 बच्चे बीमार हो गये. मुख्य चिकित्साधिकारी डाक्टर टी. एन. मिश्र ने यहां बताया कि धर्मापुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की तीन सदस्यीय टीम आशीर्वाद स्वास्थ्य गारंटी योजना के तहत पूर्व माध्यमिक विद्यालय, सुलतानपुर में 122 बच्चों को पेट के...
More »गए गुरुजी काम से- राहुल कोटियाल
गया वह ज़माना जब शिक्षक पढ़ाया करते थे. अब उन्हें छत्तीस सरकारी कामों के लिए नौकरी पर रखा जाता है. राहुल कोटियाल की रिपोर्ट. 'वर्तमान शिक्षा-पद्धति रास्ते में पड़ी हुई कुतिया है, जिसे कोई भी लात मार सकता है.’ यह टिप्पणी प्रसिद्ध साहित्यकार श्रीलाल शुक्ल ने अपने सबसे चर्चित उपन्यास 'राग दरबारी' में की थी. यह उपन्यास आज से लगभग पचास साल पहले लिखा गया था. यह वह दौर था जब...
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