जनसत्ता 13 दिसंबर, 2011: जयप्रकाश नारायण ने 1974 में, जब वे कई सारे सवालों के साथ-साथ भ्रष्टाचार का भी सवाल उठा कर सारे देश में आंदोलन खड़ा करने में लगे थे, एक गहरा और मार्मिक लेख लिखा था। इसका शीर्षक था:‘क्या नैतिक ताने-बाने के बिना भी कोई देश बना रह सकता है?’ इसमें उन्होंने मुख्य रूप से दो बातें कही थीं। एक,भ्रष्टाचार ऊपर से नीचे की तरफ चलता है। सत्ता-संपत्ति-अधिकार...
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पंचायतों के आधार पर गांवों के विद्युतीकरण की योजना होगी क्रियान्वित
पटना, नौ दिसंबर (एजेंसी) बिहार सरकार ने राजस्व गांव के आधार पर लागू की जा रही कें्रद की राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना को दोषपूर्ण करार देते हुए आज कहा कि 12वीं पंचवर्षीय योजना में इसे पंचायतों में बसावट के आधार पर क्रियान्वित किया जाएगा। प्रश्नकाल के दौरान एक सदस्य के प्रश्न के जवाब में बिजली मंत्री बिजें्रद प्रसाद यादव ने कहा, ‘‘कें्रद के राजस्व गांव की संख्या के आधार पर...
More »4115 स्कूलों में सच होगा सपना बदलेगी तसवीर, दूर होगा ऊर्जा संकट
पटना : चार हजार एक सौ पंद्रह माध्यमिक व उच्च माध्यमिक स्कूल शीघ्र ही सोलर एनर्जी से लैस होंगे. हर स्कूल को उसकी जरूरत के अनुसार एक किलोवाट से पांच किलोवाट तक ऊर्जा मुहैया करायी जायेगी. 302 करोड़ रुपये के इस पूरे प्रोजेक्ट को स्वीकृति मिल चुकी है. पहली बार किसी विद्यालय परीक्षा समिति ने ऐसा कदम उठा रहा है. बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के अध्यक्ष प्रो राजमणि प्रसाद सिंह ने बताया...
More »मनरेगा के तहत रोजगार सृजन पर रमेश ने की पश्चिम बंगाल सरकार की आलोचना
नयी दिल्ली, 11 दिसंबर (एजेंसी) मनरेगा के तहत रोजगार सृजन नहीं करने को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार की आलोचना करते हुए केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को एक पत्र के माध्यम से पंचायतों को मजबूत बनाने को कहा है जो कि गांवों में रोजागार का प्रमुख माध्यम बने। रमेश ने कहा कि ‘पर्याप्त कोष की उपलब्धता के बावजूद’ राज्य सरकार ग्रामीण रोजगार योजना के तहत रोजगार...
More »बारहवीं योजना में स्वास्थ्य - राम प्रताप गुप्ता
पिछले दिनों सरकार ने बारहवीं पंचवर्षीय योजना का दृष्टिकोण पत्र जारी किया। आर्थिक विकास की ऊंची दर के बावजूद आम जनता विश्वसनीय स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित है। इसका प्रमुख कारण यही है कि आज भी सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं पर राष्ट्रीय आय का मात्र 1.2 प्रतिशत खर्च किया जाता है। नतीजतन लोगों को चिकित्सा व्यय का अधिकांश स्वयं वहन करना पड़ता है, जो उन्हें गरीबी रेखा से नीचे धकेल रहा है। सार्वजनिक...
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