बुजुर्गों की जीवन-संध्या पूरी गरिमा और बिना किसी अभाव के बीते- यह हर सभ्य समाज का नैतिक दायित्व है। बुजुर्गों के प्रति इसी दायित्व-भाव से पेंशन परिषद् दिल्ली में जन्तर-मन्तर पर अगामी 7 मई से 11 मई(2012) तक एक अभियान के तहत धरने का आयोजन कर रहा है। धरने के आयोजन के पीछे मकसद एकदम सरल और सहज है, और इस मकसद को पूरा करने का वक्त अब आ चुका है। आगे की पंक्तियों को...
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इन बच्चों का क्या कसूर?- हर्षमंदर
गरीबों के बच्चे मवेशी चराते हैं और चटाई बुनते हैं, वे शहर के कूड़ागाहों और ट्रैफिक सिगनल्स पर पाए जाते हैं, ईंट-भट्टे और कोयला खदानें आमतौर पर उनके काम करने की जगहें होती हैं। जब हमारे बच्चे स्कूलों में पढ़ाई करने जाते हैं, तब गरीबों के बच्चे रोजी-रोटी के लिए मशक्कत कर रहे होते हैं। लेकिन बड़ी अजीब बात है कि हमने महज इस संयोग के आधार पर इन बच्चों की इस...
More »आखिर कब पूरा होगा बाल मजदूर मुक्त समाज का सपना
नई दिल्ली। एक मई देश की उत्साहजनक विकास दर और शहरीकरण के बीच लाखों बच्चे अपने बचपन को भूल दयनीय स्थिति में मजदूरी करने को विवश हो रहे है। कई गैर सरकारी संगठन इस काम में जुटे हुए है कि बाल मजदूरी से देश व समाज को जल्द से जल्द मुक्त किया जा सकें। तमाम सरकारी नीतियों और गैर सरकारी प्रयासों के बावजूद बाल मजदूरों की संख्या में इजाफा होता...
More »गाय के गोठे में शिक्षा ले रहे आदिवासी बच्चे- प्रदीप घुमडवार
कुही. तहसील की राजोला गुट ग्राम पंचायत का आगरगांव सौ प्रतिशत आदिवासी गांव आज भी विकास से कोसों दूर है। इस गांव में प्राथमिक शाला के लिए स्वतंत्र इमारत नहीं होने से बच्चों को गाय के गोठे में बैठकर शिक्षा ग्रहण करनी पड़ रही है। यह गांव मूलभूत सुविधाओं से पूरी तरह वंचित हैं। इसका खामियाजा भुगतने के बाद भी आदिवासी चुपचाप हैं। इनकी सुनने वाला कोई नहीं है। यहां...
More »खतरे से खाली नहीं स्कूल में पढ़ना
पोड़ैयाहाट गोड्डा निप्र: प्रखंड के राजकीयकृत प्लस टू विद्यालय डांडे को देखने से सरकार की झारखंड के नौनिहालों के प्रति गंभीरता का आकलन स्वयं हो जाता है। 50 साल पुराना भवन पूरी तरह जर्जर हो चुका है। छत टुकड़ों में गिरती रहती है। जहां बच्चों का बैठना खतरे से खाली नहीं। बच्चों ने भी कक्षा में बैठने से इंकार कर दिया है। मनीष कुमार बताते हैं कि क्लास रूम में...
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