SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 1551

खेती बिना खेत के, आमदनी जेब भरके

घर में उत्पादन -कृषि विश्वविद्यालय से प्रशिक्षण पाकर सफल हो रहे किसान - बीज उत्पादन के गुर सिखाने से लेकर मदर कल्चर मिल रहा मुफ्त - विश्वविद्यालय व कृषि विज्ञान केन्द्र से किसान उठा सकते बीज अमरेन्द्र तिवारी,मुजफ्फरपुर : 'खेती बिना खेत के..' सुनकर आपको भले आश्चर्य लगे, लेकिन बात है सौ फीसदी सही। राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय पूसा की पहल पर बिना खेत वाले लोग भी मशरूम की खेती कर अपनी जेबें भर...

More »

असंगति का संगीत- रोहिणी मोहन

कुछ मामलों में एक जैसे और ज्यादातर मामलों में एक-दूसरे से जुदा शांति और प्रशांत भूषण के छुए-अनछुए पहलुओं की पड़ताल करती रोहिणी मोहन की रिपोर्ट मई, 1995 की एक दोपहर को सामाजिक कार्यकर्ता हिमांशु ठक्कर अपने वकीलों प्रशांत और शांति भूषण के साथ सर्वोच्च न्यायालय में बैठे हुए थे. उनसे जरा-सी दूरी पर मुख्य न्यायाधीश एएस आनंद एक ऐसा फैसला सुना रहे थे जो पूर्वी गुजरात के कम से कम...

More »

अफसर चाहते हैं भ्रष्टाचार : राजेश दुबे

भोपाल. ‘मप्र में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) भ्रष्टाचार के दलदल में फंसी है। लगभग हर दुकान पर रिश्वतखोरी और कालाबाजारी का बोलबाला है। बिना रिश्वत दिए यहां कोई काम नहीं होता। अपने फायदे के लिए नौकरशाह भी चाहते हैं पीडीएस में भ्रष्टाचार चलता रहे।’ यह टिप्पणी किसी विपक्षी दल की नहीं है बल्कि पीडीएस की छानबीन के लिए सुप्रीमकोर्ट के निर्देश पर बनी एक सदस्यीय जस्टिस डीपी वाधवा कमेटी की है। कमेटी ने सितंबर...

More »

कहां कितना भ्रष्टाचार- आंकड़ों के आईने में...

क्या आप जानते हैं कि साल 2000 से 2009 के बीच महाराष्ट्र में भ्रष्टाचार के सर्वाधिक मामले (4566) और  पश्चिम बंगाल में भ्रष्टाचार के सबसे कम मामले (केवल 9) दर्ज हुए। क्या आप यह भी जानना चाहते हैं कि गुजरे दस सालों में देश के अलग-अलग सूबों में भ्रष्टाचारियों से कितनी रकम वापस हासिल की गई। भ्रष्टाचार के मामलों पर विधिवत नजर रखनी हो तो कहां जायें। कैसे पता चले कि केंद्र और राज्यों में...

More »

शख्शियत बड़ी या संदेश- राजदीप सरदेसाई

‘क्या आप जानते हैं कि हमारे देश में चुनाव कैसे होते हैं? पिता के लिए शराब, मां के लिए कपड़े और बच्चे के लिए भोजन।’ ‘आखिर इस देश में क्या भ्रष्ट नहीं है? भारत का केंद्रीय व्यसन या दोष भ्रष्टाचार है; भ्रष्टाचार की केंद्रीय धुरी है चुनावी भ्रष्टाचार; और चुनावी भ्रष्टाचार की केंद्रीय धुरी हैं कारोबारी घराने।’ उपरोक्त उक्तियां अन्ना हजारे द्वारा कही गई बातों जैसी लगती हैं। हालांकि ये बातें...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close