जनतंत्र में दलतंत्र महत्वपूर्ण उपकरण है। दलों की मान्यता और पंजीयन के विधि स्थापित नियम हैं। दलों के अपने घोषित कार्यक्रम, संविधान, संगठन पद व संकल्प हैं। दल मूलत: राजनीतिक जनसंगठन हैं। दल चुनावों में हिस्सा लेते हैं। संगठन तंत्र के माध्यम से अपने पक्ष में जनमत बनाते हैं। जनसमर्थक मनमाफिक दल को चलाने या चुनावी जीत दिलाने के लिए चंदा देते हैं। दल कार्य संचालन के लिए विभिन्न् स्तर...
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'सबके लिए घर' के मायने - सुषमा रामचंद्रन
वर्ष 2022 तक प्रत्येक देशवासी को अपना एक घर मुहैया कराने की केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना यूं तो सराहनीय है, लेकिन इसके समक्ष कई अहम सवाल भी मुंह बाए खड़े हैं। सबसे पहला सवाल तो यही है कि अगर घर बना भी दिए गए, तो उनकी गुणवत्ता कैसी होगी? उन तक बुनियादी सुविधाओं जैसे बिजली, पानी, सफाई आदि की पहुंच कैसे होगी? उनके इर्दगिर्द जरूरी बुनियादी ढांचा जैसे स्कूल,...
More »घरेलू कामगारों के प्रति तंग नजरिया- सुभाषिनी सहगल अली
किसी एक 'दिन' पर मचे सरकारी और गैर-सरकारी शोर में दूसरा उतना ही महत्वपूर्ण या शायद उससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण 'दिन' पूरी तरह से छिप जाता है। 16 जून को पड़ने वाले 'अंतरराष्ट्रीय घरेलू कामगार दिवस' के साथ ऐसा ही हुआ है। 'अंतरराष्ट्रीय योग दिवस' पर मच रहे कोलाहल ने देश भर मे अपनी मेहनत के बल पर संपूर्ण अर्थव्यवस्था के बहुत बड़े हिस्से को कायम रखने वाली करोड़ों गरीब...
More »दिल्ली की फैक्टरियों में आठ हजार बाल श्रमिक
नई दिल्ली। दिल्ली की कपड़ा फैक्टरियों में आठ हजार बाल श्रमिक काम कर रहे हैं। एक गैर सरकारी संगठन 'सेव द चिल्ड्रन' की रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। रिपोर्ट 'द हिडन वर्कफोर्स' शीर्षक से शुक्रवार को दिल्ली के महिला एवं बाल विकास मंत्री संदीप कुमार ने जारी की। रिपोर्ट में कहा गया है कि कपड़ा कारखानों में आठ हजार बाल श्रमिक हैं जिनमें से 70 प्रतिशत लड़कियां हो सकती...
More »ना भूलें इमरजेंसी के सबक - गोपालकृष्ण गांधी
आज से छह दिनों में एक सालगिरह आने वाली है। चालीसवीं सालगिरह। मामूली सालगिरह नहीं है वो। बहुत अहम है। उसको जश्न से नहीं, सुकून से 'मनाया" जाएगा। सुकून से इसलिए कि वो एक मनहूस तजरिबे की सालगिरह है, एक बुरे सपने की जो कि अब बीत चुका है, हमें अपनी भयावह लपेट से मुक्त कर चुका है। वह सपना सितम के, जुल्म के इतिहास का एक हिस्सा बनकर हमें...
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