-द वायर, पराली जलाने की समस्या का समाधान करने के लिए केंद्र सरकार ने पिछले चार सालों में 2,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि खर्च की है, लेकिन इसके बावजूद दिल्ली-एनसीआर, पंजाब और हरियाणा की वायु गुणवत्ता खराब श्रेणी रही है. इस राशि में से 1,050.68 करोड़ रुपये पंजाब को दिए गए थे, लेकिन यहां अभी भी भारी तादाद में खेतों में पराली जलाए जा रहे हैं. पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी)...
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कॉप-26: भारत में 25 गुना तक बढ़ जाएगा लू का कहर!
-न्यूजलॉन्ड्री, जी20 देशों पर जारी एक अंतरराष्ट्रीय जलवायु रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि कार्बन उत्सर्जन तेजी से बढ़ता रहा तो सदी के अंत तक वैश्विक तापमान में 4 डिग्री सेल्सियस तक की वृद्धि हो सकती है. जिसके चलते 2036 से 2065 के बीच भारत में लू का कहर कहीं ज्यादा बढ़ जाएगा. अनुमान है कि इसके सामान्य से 25 गुना अधिक समय तक रहने की आशंका है. इस रिपोर्ट को...
More »पारिवारिक हस्तक्षेप से कम हो सकता है हृदय रोग का खतरा
-इंडिया स्पेंड, जिन परिवारों में कई पीढ़ियों से हृदय संबंधी बीमारियां रही हों, उनमें पूरे परिवार को हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने वाला एक कार्यक्रम, कम उम्र में होने वाली कोरोनरी हार्ट डिजीज (रुकी हुई धमनियों से जुड़ी बीमारी) के खतरे को कम कर सकता है। केरल में 750 परिवारों पर की गई स्टडी से यह बात पता चली है। अक्टूबर, 2021 में 'द लैंसेट' में प्रकाशित इस स्टडी की मानें, तो...
More »लगातार घट रही है बीज उत्पादन में मदद करने वाले परागणकों की संख्या
-डाउन टू अर्थ, दुनिया भर में लगभग 3,50,000 पौधों की प्रजातियां हैं। सभी फूलों वाले पौधों में से आधे में बीज तैयार करने के लिए ज्यादातर परागणकों पर निर्भर करते हैं। अध्ययन के मुताबिक 82 फीसदी पौधों की प्रजातियां कीड़ों द्वारा परागित होती हैं, 6 फीसदी कशेरुकी द्वारा परागित होती हैं, जबकि हवा द्वारा केवल 12 फीसदी पौधों की प्रजातियां परागित होती हैं। इसलिए परागणकों में गिरावट के चलते जैव विविधता...
More »इस साल पैदा हो सकता है 5.7 करोड़ टन इलेक्ट्रॉनिक कचरा, चीन की विशाल दीवार से भी ज्यादा है भारी
-डाउन टू अर्थ, डब्लूईईई के शोधकर्ताओं द्वारा लगाए गए अनुमान के अनुसार 2021 में 5.7 करोड़ टन से ज्यादा इलेक्ट्रॉनिक कचरा पैदा हो सकता है। बेकार इलेक्ट्रॉनिक और बिजली के उपकरणों के इस पहाड़ का वजन चीन की विशाल दीवार से भी ज्यादा है, जो धरती पर मानव द्वारा निर्मित सबसे भारी चीज है। वहीं पिछले साल जारी ग्लोबल ई-वेस्ट मॉनिटर रिपोर्ट 2020 के अनुसार वर्ष 2019 में करीब 5.4 करोड़ मीट्रिक...
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