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गांधी के सपनों का स्वराज-- श्री भगवान सिंह

वैसे महात्मा गांधी ‘स्वराज' या ‘स्वराज्य' संबंधी अपनी अवधारणा को जीवनपर्यन्त परिभाषित करते रहे, लेकिन जहां तक मैं समझ सका हूं, हिंदुस्तान के संदर्भ में उन्होंने जिस स्वराज की परिकल्पना की थी, उसके केंद्र में थी गांवों की स्वायत्त, स्वावलंबी अर्थ एवं प्रबंधन सत्ता। उनकी दृष्टि में गांवों की संपन्नता में ही देश की संपन्नता तथा गांवों की स्वायत्त पंचायती व्यवस्था में ही देश की सच्ची प्रजातांत्रिक छवि अभिव्यक्ति पा...

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हिन्दू धर्म में विवाह एक पवित्र संस्कार है, कोई करार नहीं: हाईकोर्ट

‘हिन्दू धर्म में विवाह पवित्र संस्कार है, कोई करार नहीं। इसे किसी अनुबंध से बांधा नहीं जा सकता है।' दिल्ली हाईकोर्ट ने यह महत्वपूर्ण टिप्पणी की। कोर्ट ने रीति-रिवाज के बगैर अनुबंध के जरिए शादी करने वाली एक महिला को मृतक की पत्नी स्वीकार करने से इनकार करते हुए यह बात कही। अनुकंपा के आधार पर नौकरी मांगी थी: महिला ने दिल्ली सरकार के अस्पताल में काम करने वाले व्यक्ति...

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पानी के प्रबंधन में बुनियादी बदलाव की दरकार, बने नेशनल वाटर कमीशन-- मिहिर शाह समिति

आजादी के बाद से अबतक बड़े और मंझोले आकार की सिंचाई परियोजनाओं में 4 लाख करोड़ रुपये खर्च हुए हैं लेकिन ज्यादातर किसानों के लिए अब भी सिंचाई का पानी मुहाल है.  सूखे की मार झेलती देश की खेती से जुड़ी इस तल्ख सचाई की तरफ ध्यान दिलाया गया है पानी का प्रबंधन सुधारने के मसले पर तैयार की गई एक रिपोर्ट में. रिपोर्ट केंद्रीय जल आयोग(सीड्ब्ल्यूसी) और केंद्रीय भूजल बोर्ड के कामकाज...

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गरीबों को स्‍मार्टफोन खरीदने में 1000 रुपये की सब्सिडी

नयी दिल्ली : डिजिटल भुगतान के प्रोत्साहन पर गठित मुख्यमंत्रियों की समिति ने कर दायरे से बाहर के लोगों तथा छोटे दुकानदारों को स्मार्ट फोन की खरीद पर 1,000 रुपये की सब्सिडी देने का सुझाव दिया है. इसके अलावा समिति ने बैंकों से 50,000 रुपये से अधिक की निकासी पर ‘नकद लेनदेन कर' लगाने की सिफारिश की है. आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और समिति के संयोजक एन. चंद्रबाबू नायडू ने...

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आम बजट आम लोगों के लिए-- बिभाष

बजट बसंती जाड़े से खिसक कर चिल्ला ठंडे के मौसम में आ गया है. कड़कड़ाती ठंड में बजट की तैयारियां चल रही ही हैं कि इसी बीच दो रिपोर्ट चर्चा में आ गयीं. एक रिपोर्ट है वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम द्वारा जारी इन्क्लुसिव डेवलपमेंट इंडेक्स-2017 और दूसरी रिपोर्ट है ऑक्सफैम रिपोर्ट. दोनों ही रिपोर्ट पूंजीवादी संस्थाओं द्वारा जारी की गयी हैं. इन रिपोर्टों को पढ़ने से साफ झलकता है कि...

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