-आउटलुक, “सरकारी बैंकों में निजी निवेश के लिए उसका एनपीए कम होना जरूरी है और बैड बैंक इसमें मददगार होगा, इसलिए बैंक निजीकरण और बैड बैंक का गठन, दोनों फैसलों को एक-दूसरे से जोड़कर देखा जाना चाहिए” एस.के. सिंह इन दिनों एक बैंक की बहुत चर्चा है- बैड बैंक। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी 2021 को बजट में इसका जिक्र किया, जिस पर बाद में रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास...
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अच्छी हो या बुरी लेकिन बिटक्वाइन, ब्लॉकचेन और डिजिटाइजेशन के साथ एक अलग तरह की दुनिया उभर रही है
-द प्रिंट, कल्पना कीजिए कि खनन (पता नहीं किस चीज के) और ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी (इसे भी समझना होगा) से जुड़ी आपकी मुद्रा ‘क्रिप्टो’ यानी गुप्त हो गई. अगर यह सब आपको नहीं समझ में आ रहा है या आप यह भी नहीं समझ पा रहे हैं कि टेस्ला अरबों बिटक्वाइन क्यों खरीद रही है या यह नहीं समझ पा रहे हैं कि चीन यह क्यों सोच रहा है कि उसका ई-यूवान...
More »आर्थिक उद्देश्य संविधान के विजन से अलग नहीं हो सकते : तलोजा जेल से आनंद तेलतुंबड़े
-कारवां, सार्वजनिक सेक्टर के उद्यमों का निजीकरण करने की मोदी सरकार की योजना पर जारी बहस से कुछ हद तक पुरानी बहसों की याद आती है. सरकार के समर्थन में निजीकरण की पैरवी करने वाले लोग दलील दे रहे हैं कि निजीकरण हमेशा ही सार्वजनिक सेक्टर के लिए कारगर रहा है. वे नहीं जानते लेकिन इस दलील का तार्किक विस्तार करें तो यह बेतुका लेकिन जायज सवाल भी किया जा सकता है...
More »बॉलीवुड में किसानों के ऊपर सिनेमा बनाने का जोखिम कौन लेगा?
-जनपथ, भारत की 60-70 फीसदी जनसंख्या प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है। कहते हैं कि भारत गांवों में बसता है, बावजूद इसके वर्तमान हिंदी फिल्मों में किसानों की कहानी नहीं के बराबर आती है। लंबे समय से इस देश के किसान किसी बिमल रॉय के इंतजार में हैं जो उनकी दो बीघा ज़मीन पर एक फिल्म बना दे। आम तौर से समाज की आर्थिक संरचना में महत्वपूर्ण योगदान रखने...
More »छत्तीसगढ़ में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन में बड़े किसानों के साथ आए खेत मजदूर
-कारवां, “मनरेगा में हमें यह सरकार अब मुश्किल से बीस दिन ही काम दे रही है. जब हमने मनरेगा में काम करना शुरू किया था तो किसी साल 50-60, तो किसी साल 80 दिनों तक हमें अपने गांव में ही काम मिल जाता था. पर, हमें तो अपना गुजारा करने के लिए साल के सभी दिन काम चाहिए न. इसलिए, कुछ दिन हम अपने खेत और कुछ दिन बड़े किसानों के खेतों...
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